
विदेश डेस्क, नीतीश कुमार |
अफगानिस्तान में एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। मंगलवार को देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया। इससे पहले रविवार रात जलालाबाद में 6.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था।
अब तक इस आपदा में 1411 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि घायलों की संख्या 3250 से अधिक पहुंच गई है। रविवार को आए भूकंप के समय ज्यादातर लोग सो रहे थे, जिस कारण वे इमारतों के मलबे में दब गए। न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार इसकी पुष्टि तालिबान ने की है।
तालिबान सरकार ने वैश्विक समुदाय से मदद की अपील की है। इसके बाद भारत ने राहत के तौर पर काबुल भेजे हैं 1000 टेंट और 15 टन खाद्य सामग्री, जिसे आगे कुनार तक पहुंचाया गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक्स पर लिखा कि भारत आगे भी राहत सामग्री भेजता रहेगा। बता दें, 2021 में तालिबान शासन स्थापित होने के बाद अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अफगानिस्तान की मानवीय सहायता रोक दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस त्रासदी पर शोक जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा “इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। भारत हर तरह की मदद के लिए तैयार है।”
संयुक्त राष्ट्र ने भी मृतकों के लिए दुख व्यक्त किया और कहा कि उनकी टीमें पहले से ही राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। अफगानिस्तान की अपील के बाद भारत के अलावा चीन और ब्रिटेन ने भी सहायता भेजी है। ब्रिटेन ने भूकंप प्रभावित परिवारों के लिए 1 मिलियन पाउंड (करीब 10 करोड़ रुपये) की आपातकालीन फंडिंग की घोषणा की है। वहीं, चीन ने कहा कि वह अफगानिस्तान की जरूरत और अपनी क्षमता के अनुसार मदद करेगा।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, यह भूकंप जलालाबाद शहर से करीब 17 मील दूर नांगरहार प्रांत में आया। यहां कई गांव मलबे में तब्दील हो गए हैं। राजधानी काबुल से 150 किलोमीटर दूर यह पहाड़ी इलाका भूकंप के लिहाज से रेड जोन माना जाता है, जहां राहत कार्य पहुंचाना बेहद कठिन है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा मौतें कुनार प्रांत में हुई हैं। सोमवार को यहां 4.6 तीव्रता का एक और भूकंप आया था। अल जजीरा के अनुसार, इसके झटके पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत में भी महसूस किए गए, जबकि भारत के गुरुग्राम में भी हल्की कंपन दर्ज की गई।