
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
मानव इतिहास में अमरत्व का विचार हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है। धार्मिक ग्रंथों से लेकर आधुनिक विज्ञान तक, लोग अमर होने की कल्पना करते आए हैं। अब यह कल्पना हकीकत में बदलने की ओर बढ़ रही है। सिलिकॉन वैली के कुछ अरबपति और टेक कंपनियां ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं, जिनका उद्देश्य इंसानों की उम्र को बेहद लंबा करना या उन्हें "अमर" बनाना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह दिशा जितनी रोमांचक लगती है, उतनी ही खतरनाक भी साबित हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के बुक निकेल और मोनाश यूनिवर्सिटी के सीन डॉकिंग जैसे वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि अमरत्व एक "बेचने योग्य प्रोडक्ट" बन गया, तो समाज, राजनीति और नैतिकता पर गहरे संकट खड़े होंगे।
सिलिकॉन वैली की महत्वाकांक्षाएं
दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां लंबे समय से स्वास्थ्य, जेनेटिक्स और बायोटेक्नोलॉजी पर निवेश कर रही हैं। अब उनकी निगाहें सिर्फ बीमारियों का इलाज करने पर नहीं, बल्कि उम्र रोकने और मानव जीवन को अनिश्चितकाल तक बढ़ाने पर टिक गई हैं। अरबपति निवेशक ऐसे प्रयोगों पर अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं, ताकि वे मृत्यु पर विजय पा सकें।
क्या लोग अमरत्व खरीदेंगे?
विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि क्या हर व्यक्ति को हमेशा जीवित रहने का अवसर मिलेगा, या यह सिर्फ अमीरों का विशेषाधिकार बन जाएगा। यदि अमरत्व को “बेचने योग्य प्रोडक्ट” बना दिया गया, तो सामाजिक असमानता और भी गहरी हो जाएगी। धनी लोग लंबे समय तक जीवित रहेंगे, जबकि गरीब आबादी सामान्य जीवन और मृत्यु के चक्र में फंसी रहेगी।
नैतिक और सामाजिक खतरे
अमरत्व की दिशा में उठाए जा रहे कदमों से कई गंभीर प्रश्न भी उठते हैं।
क्या धरती पर संसाधनों की सीमितता के बीच अनगिनत लोगों का अनिश्चितकाल तक जीवित रहना संभव होगा?
क्या समाज में सत्ता और पद हमेशा एक ही लोगों के हाथ में बने रहेंगे?
क्या यह प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ देगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए अवसर खत्म कर देगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमरत्व तकनीक केवल अमीरों के लिए उपलब्ध रही, तो दुनिया में गहरी विभाजन रेखा खिंच जाएगी। इसके अलावा, जैविक प्रयोगों से उत्पन्न अनजाने खतरों की संभावना भी बनी रहेगी।
विज्ञान और कल्पना के बीच पतली रेखा
हालांकि तकनीकी प्रगति ने मानव जीवन को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और लंबा बनाया है, लेकिन "अमरत्व" अभी भी वैज्ञानिक और नैतिक बहस के घेरे में है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिशा में उठाए गए जल्दबाजी के कदम गंभीर खतरे उत्पन्न कर सकते हैं।
यह है कि अमरत्व की खोज मानव जिज्ञासा का प्रतीक है, लेकिन इसे बाजार का उत्पाद बना देना मानवता के लिए अनपेक्षित और विनाशकारी परिणाम ला सकता है।