नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार।
केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग की सेवा शर्तों को मंजूरी दे दी है, जिससे करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 69 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि आइआइएम बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष सदस्य और पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव पंकज जैन सदस्य सचिव होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई।
सरकार के इस कदम को बिहार विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जहां छह और 11 नवंबर को मतदान होना है। राज्य में सरकारी नौकरियों की बहाली प्रमुख चुनावी मुद्दा बना हुआ है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, आयोग का गठन जनवरी 2025 में घोषित किया गया था, लेकिन अब सेवा शर्तों की मंजूरी से प्रक्रिया में तेजी आई है। आयोग को गठन के 18 महीनों के भीतर अपनी मुख्य रिपोर्ट जमा करनी होगी, और आवश्यकता पड़ने पर विशेष मुद्दों पर अंतरिम रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर सकेगा।
आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है। यह आयोग सातवें वेतन आयोग (2016-2025) की अवधि पूरी होने से ठीक पहले आ रहा है। सातवें वेतन आयोग ने 14.3 प्रतिशत वेतन वृद्धि की सिफारिश की थी, जिससे लगभग एक करोड़ कर्मचारियों को लाभ मिला था। माना जा रहा है कि आठवां आयोग महंगाई, यात्रा और आवास भत्तों में संशोधन की सिफारिश कर सकता है।
कर्मचारी संगठनों की लंबे समय से यह मांग रही है कि वेतन संशोधन समय पर किया जाए ताकि कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनी रहे। विश्लेषकों का अनुमान है कि आयोग की सिफारिशों से सरकार का अतिरिक्त खर्च 2.4 से 3.2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है, हालांकि इसका बड़ा हिस्सा कर के रूप में वापस आ जाएगा। इससे घरेलू बाजार में कई उत्पादों की मांग बढ़ने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस बार आयोग को राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने पर भी ध्यान देना होगा।







