
एजुकेशन डेस्क, मुस्कान कुमारी |
आईआईटी, आईआईएम, एम्स, एनआईटी समेत शीर्ष संस्थानों में 'आदि कर्मयोगी स्टूडेंट चैप्टर्स' की भव्य शुरुआत; आईआईटी दिल्ली बनेगा केंद्रीय केंद्र...
देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों ने आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। वन मामलों के मंत्रालय ने आईआईटी, आईआईएम, एम्स, एनआईटी और अन्य प्रमुख विश्वविद्यालयों में 'आदि कर्मयोगी स्टूडेंट चैप्टर्स' की शुरुआत की घोषणा की है। यह पहल दुनिया के सबसे बड़े आदिवासी नेतृत्व आंदोलन 'आदि कर्मयोगी अभियान' का हिस्सा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को जनजातीय गौरव वर्ष के दौरान लॉन्च किया था। आईआईटी दिल्ली का भगवान बिरसा मुंडा सेल इस पूरे पैन-इंडिया कार्यक्रम का नोडल हब बनेगा, जो युवा ऊर्जा को आदिवासी विकास से जोड़ने का माध्यम बनेगा।
इस पहल से लाखों छात्रों को अवसर मिलेगा कि वे अपनी प्रतिभा से आदिवासी समुदायों को मजबूत करें, इंटर्नशिप के जरिए सरकारी विभागों से जुड़ें और नवाचारों से सामाजिक परिवर्तन लाएं। लॉन्च इवेंट आईआईटी दिल्ली में आयोजित हुआ, जहां वन मामलों के सचिव विभू नायर ने कहा, "यह चैप्टर्स शीर्ष संस्थानों के छात्रों को आदिवासी समुदायों से जोड़कर एक नई पीढ़ी के नेताओं को जन्म देंगे। यह विकसित भारत@2047 की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।"
युवा नेतृत्व का नया दौर: मेंटरशिप से इंटर्नशिप तक के रोमांचक अवसर
पहले चरण में ही आईआईटी दिल्ली, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी धारवाड़, आईआईटी हैदराबाद, आईआईएम सिरमौर, आईआईएम नागपुर, एम्स नागपुर, एम्स गोरखपुर, एम्स भटिंडा, वीएमएमसी-सफदरजंग अस्पताल, एनआईटी रायपुर, एनआईटी पटना, एनआईटी पुडुचेरी, एनआईटी मेघालय, डीटीयू दिल्ली, आईआईआईटीडीएम कुरनूल, बीआईटी मेसरा, एनईआरआईएसटी अरुणाचल प्रदेश, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट और आरजीएनयूएल पटियाला जैसे संस्थान इस नेटवर्क का हिस्सा बन चुके हैं। होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स जैसे आईएचएम कुफरी (शिमला), आईएचएम थरामनी (चेन्नई), आईएचएम पूर्वा (दिल्ली), आईएचएम भोपाल और आईएचएम भुवनेश्वर भी जुड़ गए हैं।
ये चैप्टर्स छात्रों को मेंटरशिप, शिक्षा, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाने का मौका देंगे। खास तौर पर, आईआईटी/आईआईएम/एम्स के छात्रों को एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) और आश्रम स्कूलों से जोड़ा जाएगा, ताकि सीखने के परिणाम बेहतर हों। छात्र आदिवासी क्षेत्रों में नवीन तकनीकी समाधान विकसित करेंगे, जैसे स्मार्ट कृषि उपकरण या स्वास्थ्य ऐप्स, जो स्थानीय चुनौतियों का सामना करेंगे।
इंटर्नशिप और पुरस्कार: आदिवासी विकास में छात्रों की सीधी भागीदारी
इस पहल का सबसे आकर्षक हिस्सा इंटर्नशिप अवसर हैं, जो छात्रों को वन मामलों के मंत्रालय, राज्य विभागों और जिला प्रशासनों के साथ जोड़ेंगे। कल्पना कीजिए, एक आईआईएम छात्र आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर नीतियां बनाने में मदद कर रहा है, या एक एम्स छात्र दूरदराज के आदिवासी गांवों में स्वास्थ्य कैंप आयोजित कर रहा है। ये इंटर्नशिप न केवल व्यावहारिक अनुभव देंगे, बल्कि छात्रों को वास्तविक प्रभाव डालने का आत्मविश्वास भी प्रदान करेंगे।
इसके अलावा, उत्कृष्ट छात्र नेताओं और मेंटर्स को विशेष पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। ये अवार्ड्स न केवल प्रेरणा का स्रोत होंगे, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी सशक्तिकरण की कहानियों को फैलाएंगे। आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने लॉन्च के दौरान कहा, "आईआईटी दिल्ली को इस राष्ट्रीय लॉन्च की मेजबानी करने पर गर्व है। यह प्लेटफॉर्म छात्रों को मेंटर करने, नवाचार करने और आदिवासी क्षेत्रों में सार्थक प्रभाव डालने की क्षमता देगा।"
ब्रिज बिल्डिंग: शीर्ष संस्थानों और आदिवासी समुदायों के बीच मजबूत सेतु
आदि कर्मयोगी अभियान जनजातीय गौरव वर्ष (15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025) का फ्लैगशिप कार्यक्रम है, जो आदिवासी युवाओं को नेतृत्व और सामाजिक परिवर्तन एजेंट बनाने पर केंद्रित है। चैप्टर्स के जरिए छात्र आदिवासी संस्कृति को समझेंगे, उनकी चुनौतियों का सामना करेंगे और स्वदेशी समाधानों पर काम करेंगे। उदाहरण के लिए, आईआईटी छात्र पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों पर रिसर्च करेंगे, जो आदिवासी वनों की रक्षा करेंगी, जबकि आईआईएम छात्र स्टार्टअप मॉडल विकसित करेंगे जो स्थानीय कारीगरों को बाजार से जोड़ें।
लॉन्च इवेंट में आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी धनबाद, एम्स दिल्ली, एम्स ऋषिकेश, एम्स गोरखपुर, आईआईएम लखनऊ, एनआईटी रायपुर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (केरल) के डायरेक्टर्स व वाइस चांसलर्स ने इस अभियान की सराहना की और पूर्ण समर्थन का वादा किया। विभू नायर ने जोर दिया कि यह पुल शीर्ष शिक्षा और आदिवासी विकास के बीच का मजबूत सेतु बनेगा, जो भारत की विविधता को एकजुट करेगा।
विस्तार की संभावनाएं: हर संस्थान के लिए खुला द्वार
यह पहल किसी एक संस्थान तक सीमित नहीं है। सभी छात्र और विश्वविद्यालय इसमें भाग ले सकते हैं। इच्छुक संस्थान चैप्टर्स स्थापित करने के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे इसका दायरा और व्यापक होगा। आईआईएसईआर मोहाली, एसवीएनआईआरटीएआर और अन्य वैज्ञानिक केंद्र भी जुड़ने को तैयार हैं। यह आंदोलन न केवल शिक्षा को बदल रहा है, बल्कि युवाओं को राष्ट्र-निर्माण का अभिन्न अंग बना रहा है।
आदि कर्मयोगी स्टूडेंट चैप्टर्स आदिवासी युवाओं के सपनों को पंख देगा, जहां आईआईटी के इंजीनियर, आईआईएम के मैनेजर और एम्स के डॉक्टर एक साथ मिलकर एक समावेशी भारत का निर्माण करेंगे। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक क्रांति है जो ग्रामीण भारत को वैश्विक पटल पर लाएगी।