
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने हाल ही में एक और कठोर और अजीबोगरीब फरमान जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, देश में अब किसी भी महिला को ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी यानी स्तन वृद्धि की अनुमति नहीं होगी। इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। किम जोंग उन ने इस प्रक्रिया को “असामाजिक” और “पूंजीवादी संस्कृति” से प्रेरित बताया है। उत्तर कोरिया की सरकार इसे गैर-समाजवादी गतिविधि मानते हुए अवैध करार दे चुकी है।
नियम तोड़ने वालों पर कठोर कार्रवाई
इस नए नियम का उल्लंघन करने पर बेहद कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई महिला ब्रेस्ट इंप्लांट करवाती है या कोई डॉक्टर यह सर्जरी करता है, तो दोनों को ही लेबर कैंप भेजा जा सकता है। इसके साथ ही उनके खिलाफ सार्वजनिक सुनवाई भी की जाती है, जिससे समाज के सामने उन्हें बेइज्जत किया जा सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरिया में ऐसे मामलों में पहले से ही गिरफ्तारियां और सार्वजनिक मुकदमे हो रहे हैं।
हाल ही में एक डॉक्टर और दो महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई। ये महिलाएं मात्र 20 वर्ष की थीं और उन पर आरोप था कि उन्होंने अवैध रूप से स्तन वृद्धि सर्जरी करवाई। सारीवोन शहर में एक सांस्कृतिक केंद्र में इनके खिलाफ सार्वजनिक सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान उन्हें यह कहते हुए दोषी ठहराया गया कि वे "पूंजीवादी संस्कृति" से प्रभावित हुईं और अपने शरीर के फिगर को बेहतर बनाना चाहती थीं। किम जोंग उन शासन के अनुसार, यह समाजवादी व्यवस्था के लिए खतरा है।
पलक सर्जरी पर भी प्रतिबंध
सिर्फ ब्रेस्ट इंप्लांट ही नहीं, बल्कि पलक सर्जरी को भी उत्तर कोरिया में गैर-समाजवादी और अवैध घोषित किया गया है। सरकार का मानना है कि यह सारी प्रक्रियाएँ पश्चिमी और पूंजीवादी संस्कृतियों की देन हैं, जिनका समाज पर गलत प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि इस तरह की सर्जरी करवाने वाली महिलाओं और उन्हें करने वाले डॉक्टरों को कठोर दंड दिया जा रहा है।
सख्त निगरानी और तलाशी
उत्तर कोरिया में इस नियम को लागू करने के लिए खुफिया और गश्ती दलों को लगाया गया है। ये टीमें संदिग्ध महिलाओं की पहचान करती हैं और उन पर कार्रवाई करती हैं। कई मामलों में महिलाओं को मेडिकल जांच से भी गुजरना पड़ रहा है ताकि पता लगाया जा सके कि उन्होंने कोई कॉस्मेटिक सर्जरी करवाई है या नहीं। यदि शक की पुष्टि होती है, तो तुरंत उनके खिलाफ कठोर दंडात्मक कदम उठाए जाते हैं।
सार्वजनिक सुनवाई के जरिए महिलाओं और डॉक्टरों को केवल दंडित ही नहीं किया जाता, बल्कि सामाजिक रूप से भी अपमानित किया जाता है। डेली एनके की रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के दौरान भीड़ के सामने यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि इन महिलाओं ने "पूंजीवादी सोच" को अपनाया और अपने शरीर को बदलने की कोशिश की, जो कि समाजवादी संस्कृति के खिलाफ है।
किम जोंग उन का यह आदेश उत्तर कोरिया के कठोर सामाजिक नियंत्रण की एक और मिसाल है। जहाँ पूरी दुनिया में कॉस्मेटिक सर्जरी व्यक्तिगत पसंद और स्वतंत्रता से जुड़ी मानी जाती है, वहीं उत्तर कोरिया में इसे अपराध और समाज के लिए खतरा माना जा रहा है। इस फरमान से यह स्पष्ट होता है कि वहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर किस हद तक रोक है। महिलाएँ अपनी इच्छा से भी अपने शरीर पर कोई बदलाव नहीं कर सकतीं, और डॉक्टर भी पेशेवर रूप से ऐसी प्रक्रियाएँ नहीं कर सकते।