स्पेशल रिपोर्ट, आर्या कुमारी |
हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ (पीडियाट्रिशन) डॉ. सिवरंजनी संतोष के वर्षों के सतत प्रयासों के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने बड़ा फैसला लिया है। उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले लेबलों पर रोक लगाते हुए FSSAI ने सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) को तुरंत ‘ORS’ (Oral Rehydration Solution) शब्द का इस्तेमाल बंद करने का निर्देश दिया है। अब किसी भी एनर्जी ड्रिंक या पेय उत्पाद पर ‘ORS’ शब्द का उपयोग न तो लेबल पर किया जा सकेगा, न ही विज्ञापनों में।
क्या कहता है FSSAI का नया आदेश
14 अक्टूबर को जारी आदेश में FSSAI ने कहा है कि किसी भी खाद्य उत्पाद के नाम में ‘ORS’ शब्द का प्रयोग—चाहे वह स्वतंत्र रूप से हो या किसी उपसर्ग/प्रत्यय (prefix/suffix) के साथ—फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 का उल्लंघन है।
नए आदेश के साथ जुलाई 2022 और फरवरी 2024 के वे पुराने निर्देश वापस ले लिए गए हैं, जिनमें शर्त के साथ ‘ORS’ शब्द के इस्तेमाल की अनुमति दी गई थी, बशर्ते लेबल पर यह चेतावनी लिखी हो कि “यह उत्पाद WHO द्वारा अनुशंसित ORS फॉर्मूला नहीं है।”
अब FSSAI ने इसे “भ्रामक, झूठा, अस्पष्ट और उपभोक्ता को भ्रमित करने वाला” बताया है और स्पष्ट किया है कि ऐसे उत्पाद मिसब्रांडेड और भ्रामक माने जाएंगे। इस पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
आदेश में कहा गया है: > “सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने खाद्य उत्पादों से ‘ORS’ शब्द को हटा दें, चाहे वह अकेले प्रयोग हो या किसी उपसर्ग/प्रत्यय या ट्रेडमार्क का हिस्सा हो। सभी कंपनियों को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के तहत निर्धारित लेबलिंग और विज्ञापन नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा।”
साथ ही 8 अप्रैल 2022 का वह आदेश, जो ORS जैसे विकल्प उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है, यथावत रहेगा।
डॉ. सिवरंजनी संतोष की लंबी लड़ाई
यह ऐतिहासिक फैसला डॉ. सिवरंजनी संतोष की 8 साल की अथक लड़ाई का परिणाम है। उनके निरंतर प्रयासों के बाद FSSAI ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के फूड सेफ्टी आयुक्तों को निर्देश दिया है कि किसी भी उत्पाद में ‘ORS’ शब्द का प्रयोग न किया जाए।
एजेंसी ANI से बातचीत में डॉ. सिवरंजनी ने कहा कि यह आदेश उनके लिए “बहुत बड़ी राहत” है। उन्होंने बताया कि कैसे निजी कंपनियां ‘ORS’ शब्द का इस्तेमाल करके जनता को धोखा दे रही थीं—भ्रामक लेबलिंग और अनैतिक मार्केटिंग के ज़रिए।
उन्होंने कहा: > “अब राहत है कि कोई बच्चा या वयस्क डायरिया से इसलिए नहीं मरेगा क्योंकि उसने गलत ‘ORS’ पी लिया। असली ORS तो जीवन बचाने वाला होता है—यह 20वीं सदी की चमत्कारी खोज है, ‘अमृत’ की तरह। लेकिन इन कंपनियों ने अपने हाई शुगर ड्रिंक्स को ORS नाम देकर बेचना शुरू कर दिया था। पिछले 14 सालों से जनता को धोखा दिया जा रहा था—अस्पतालों, फार्मेसियों, स्कूलों, हर जगह।” “जो पेय असल में शरीर को डायरिया से उबरने में मदद करना चाहिए था, वही डायरिया को और बढ़ा रहा था।”
क्या है ORS?
वास्तविक ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) एक चिकित्सीय घोल है, जिसमें सोडियम, पोटेशियम, सोडियम साइट्रेट और ग्लूकोज़ का सटीक अनुपात होता है। यह अनुपात विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित किया गया है ताकि शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को सही ढंग से पूरा किया जा सके।
इसका उपयोग डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) की स्थिति में किया जाता है — जैसे डायरिया, उल्टी, या अत्यधिक पसीना आने की स्थिति में, ताकि शरीर में खोए हुए पानी और नमक की भरपाई हो सके।
असली ओआरएस का उपयोग डॉक्टर की सलाह या स्वास्थ्य कर्मियों के निर्देश के अनुसार किया जाना चाहिए।
बाजार में बिकने वाले नकली “ओआरएस ड्रिंक्स” में शुगर की मात्रा 8–12 ग्राम प्रति 100 मिलीलीटर तक पाई गई, जबकि असली ORS में यह केवल 2.5–2.9 ग्राम होती है। इन्हें “Hydration Drink”, “Energy Plus” या “Electrolyte Drink” जैसे नामों से बेचा गया, जिससे आम जनता भ्रमित होती रही।
भारत में डायरिया से बच्चों की मौत पर चिंता
डॉ. सिवरंजनी ने बताया कि भारत में 5 साल से कम उम्र के 100 में से करीब 13 बच्चे डायरिया के कारण मर जाते हैं। उन्होंने कहा: > “ऐसे में अगर हम बच्चों को ऐसी चीजें पिलाएं जो डायरिया को बढ़ा दें, तो यह कितनी निर्दयता है! कुछ कंपनियां कहती थीं कि उन्होंने डिस्क्लेमर जोड़ दिया है—लेकिन कितने लोग भारत में सच में वह चेतावनी पढ़ते हैं? साक्षर लोग भी नहीं पढ़ते, तो निरक्षर लोगों की तो बात ही छोड़िए। यह जनता के साथ क्रूरता है।”
परिवार और दबाव के बावजूद नहीं झुकीं
डॉ. सिवरंजनी ने बताया कि इस लड़ाई में उन्हें अपने ही परिवार और साथियों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
उन्होंने कहा:> “मुझे अपने ही परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर यह लड़ाई लड़नी पड़ी। बहुत तनाव था, दबाव था, डर था कि कहीं परिवार को नुकसान न हो। लेकिन मैंने खुद से कहा कि मुझे यह करना ही है, मैं इसके लिए ही बनी हूं। इसलिए कभी पीछे नहीं हटी।”
अभियान का असर
पिछले 8 सालों से डॉ. सिवरंजनी लगातार यह जागरूकता फैला रही थीं कि कई कंपनियां शुगर-युक्त एनर्जी ड्रिंक्स को ORS बताकर बेच रही हैं।
उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि अब FSSAI ने स्पष्ट आदेश जारी कर दिया है कि किसी भी उत्पाद के नाम में ‘ORS’ शब्द—चाहे अकेले, किसी उपसर्ग/प्रत्यय के साथ या ट्रेडमार्क के हिस्से के रूप में—अब इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।







