
नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |
एमएफ हुसैन पेंटिंग विवाद: पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली आर्ट गैलरी को राहत, FIR दर्ज करने से किया इनकार
मशहूर चित्रकार दिवंगत एम.एफ. हुसैन की पेंटिंग्स को लेकर एक बार फिर विवाद गहराया, लेकिन अदालत ने इस पर दिल्ली आर्ट गैलरी को बड़ी राहत दी है। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ प्रताप सिंह लालेर ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें गैलरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले को शिकायत के रूप में सुना जा सकता है और शिकायतकर्ता के पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, ऐसे में शुरुआती स्तर पर पुलिस जांच आवश्यक नहीं है।
मामला क्या है?
यह विवाद दिसंबर 2024 में सामने आया, जब अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने दिल्ली में आयोजित एक प्रदर्शनी में एम.एफ. हुसैन की दो पेंटिंग्स देखीं। उनका आरोप था कि ये पेंटिंग्स हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हैं। उन्होंने चार दिसंबर को इस मामले में पुलिस को शिकायत दी। हालांकि, पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। पुलिस का तर्क था कि इन पेंटिंग्स से संबंधित आरोप संज्ञेय अपराध की श्रेणी में नहीं आते और इसलिए मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
मजिस्ट्रेट कोर्ट का आदेश
पुलिस के इस रुख के बाद सचदेवा ने मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाजा खटखटाया। मजिस्ट्रेट ने 22 जनवरी 2025 को आदेश दिया था कि यह मामला शिकायत के रूप में चलाया जा सकता है और वर्तमान स्तर पर पुलिस जांच की आवश्यकता नहीं है। इस आदेश को चुनौती देते हुए सचदेवा ने सत्र अदालत में अपील दायर की थी।
सत्र न्यायाधीश का फैसला
अब सत्र अदालत ने भी मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के पास पेंटिंग्स की तस्वीरें और प्रदर्शनी का व्यक्तिगत अवलोकन जैसे प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद हैं। ऐसे में वे गैलरी स्टाफ, विशेषज्ञों या अन्य लोगों को गवाह के रूप में बुला सकती हैं। इसलिए इस स्तर पर पुलिस की सीधी दखलंदाजी जरूरी नहीं है। अदालत ने यह भी जोड़ा कि मजिस्ट्रेट चाहे तो आगे चलकर परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस जांच का आदेश दे सकते हैं।
पेंटिंग्स जब्त, विवाद बरकरार
जानकारी के अनुसार, सचदेवा की शिकायत के बाद संबंधित पेंटिंग्स को जब्त कर लिया गया था। बावजूद इसके, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपों को लेकर विवाद खत्म नहीं हुआ। एम.एफ. हुसैन की पेंटिंग्स पहले भी कई बार विवादों में रह चुकी हैं, खासकर तब जब उन पर देवी-देवताओं को विवादास्पद रूप में चित्रित करने के आरोप लगे थे। इस बार भी बहस कला की स्वतंत्रता बनाम धार्मिक भावनाओं के बीच खिंच गई है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत का यह फैसला फिलहाल गैलरी और आयोजकों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन मामला यहीं समाप्त नहीं होता। अगर शिकायतकर्ता पर्याप्त गवाह और सबूत पेश करती हैं, तो केस आगे बढ़ सकता है। इसके अलावा मजिस्ट्रेट भविष्य में परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस जांच के आदेश भी दे सकते हैं।
पटियाला हाउस कोर्ट का यह फैसला कला जगत और कानूनी क्षेत्र दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। यह मामला कला की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन की चुनौती को एक बार फिर सामने लाता है। अदालत ने साफ किया है कि शुरुआती स्तर पर पुलिस जांच जरूरी नहीं, लेकिन शिकायतकर्ता को न्याय पाने का पूरा अधिकार है और वह अदालत में अपने तर्क और गवाह प्रस्तुत कर सकती हैं।