
विदेश डेस्क- ऋषि राज |
विकास को निशाना बनाकर वैश्विक शांति नहीं ला सकते : एस. जयशंकर
भारत और अमेरिका के बीच जारी तनाव और रूस से तेल खरीद को लेकर बने विवाद के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मंच से पश्चिमी देशों की आलोचना की। उन्होंने दोहरे मानदंडों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वैश्विक विकास और शांति को खतरे में डालकर दुनिया में स्थायित्व की उम्मीद नहीं की जा सकती।
जयशंकर ने बिना नाम लिए अमेरिका पर निशाना साधा और कहा कि ऊर्जा एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं के व्यापार को अस्थिर बनाने से किसी का भला नहीं होगा। उनका बयान ऐसे समय में आया जब रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। इसके बावजूद भारत ने दबाव के आगे झुकने से इनकार किया और रूस से तेल खरीद जारी रखी।
विकास और शांति का रिश्ता
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि "शांति सुनिश्चित रूप से तभी टिक सकती है जब विकास के अवसर बनाए और सुरक्षित रखे जाएँ। यदि विकास को बार-बार खतरे में डाला जाएगा तो स्थायी शांति की कल्पना असंभव है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इस समय विश्व जिस स्थिति से गुजर रहा है, वह न केवल वैश्विक दक्षिण (Global South) बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर रही है।
उन्होंने ऊर्जा संकट का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले से ही नाजुक स्थिति में चल रहे आवश्यक वस्तुओं के व्यापार को और अधिक अनिश्चित बनाने से वैश्विक अर्थव्यवस्था असंतुलित होगी। इसलिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद का समाधान बातचीत और कूटनीति से करना ही सबसे उचित रास्ता है।
आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
जयशंकर ने अपने भाषण में आतंकवाद के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने जी-20 के सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि आतंकवाद के खिलाफ "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपनाई जाए। उन्होंने कहा कि दुनिया को यह समझना होगा कि आतंकवादी गतिविधियों के प्रति न तो सहिष्णुता दिखाई जानी चाहिए और न ही उन्हें किसी प्रकार का सहयोग मिलना चाहिए।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि जो भी लोग आतंकवाद के नेटवर्क को तोड़ने और खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं, वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद कर रहे हैं। इसीलिए सभी देशों की साझा जिम्मेदारी है कि वे आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने में सहयोग दें।
जी-20 की उपयोगिता पर बल
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में जी-20 की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुपक्षीय संस्थाओं की कमी है और मौजूदा ढाँचा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम नहीं दिख रहा। इसलिए जी-20 की प्रासंगिकता और भूमिका को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, "जी-20 के सदस्यों पर विशेष जिम्मेदारी है कि वे न केवल वैश्विक स्थिरता बनाए रखें बल्कि इसे और अधिक सशक्त करें। हम इसे सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं ताकि ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूती मिल सके।"
जयशंकर का संदेश साफ था कि अंतरराष्ट्रीय विवादों और प्रतिस्पर्धा के बीच विकास को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। विकास और शांति एक-दूसरे के पूरक हैं और इन्हें खतरे में डालना वैश्विक स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकता है।