
स्पेशल रिपोर्ट, मुस्कान कुमारी |
कर्नाटक के आम किसान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, क्योंकि आम की कीमतें ₹12,000 प्रति क्विंटल से गिरकर ₹3,000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। यह गिरावट कर्नाटक राज्य कृषि मूल्य आयोग द्वारा अनुमानित खेती की लागत ₹5,466 प्रति क्विंटल से भी कम है, जिसके कारण छोटे और सीमांत किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस संकट को और जटिल करते हुए, आंध्र प्रदेश द्वारा तोतापुरी आमों पर लगाए गए प्रतिबंध ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि किसानों को उनकी बुनियादी लागत वसूलने में मदद मिल सके।
कीमतों में गिरावट और किसानों की दुर्दशा
कर्नाटक में आम की खेती 1.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, विशेष रूप से बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु शहरी, चिक्कबल्लापुर, कोलार और रमनागर जिलों में। रबी मौसम के दौरान अनुमानित उत्पादन 8-10 लाख टन है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है, और कर्नाटक इस उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मई से जुलाई तक चरम कटाई मौसम में भारी बाजार आगमन के कारण आपूर्ति में वृद्धि हुई, जिससे कीमतें तेजी से गिर गईं। इसके अलावा, फंगल संक्रमण जैसे एंथ्रेक्नोज ने तोतापुरी आमों को प्रभावित किया, जिसके कारण फसल का एक बड़ा हिस्सा बिक्री के लिए अनुपयुक्त हो गया।
कोलार जैसे क्षेत्रों में किसानों ने अपनी निराशा व्यक्त करने के लिए सड़कों पर आम फेंककर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। समाचार स्रोतों के अनुसार, कीमतें ₹3,000-4,000 प्रति टन तक गिर गई हैं, जिससे किसान अपनी आजीविका बनाए रखने में असमर्थ हैं। कर्नाटक राज्य कृषि मूल्य आयोग के अनुसार, खेती की लागत ₹5,466 प्रति क्विंटल है, जबकि वर्तमान बाजार मूल्य इससे काफी कम है। यह स्थिति हजारों छोटे और सीमांत किसानों के लिए विनाशकारी साबित हो रही है, जो अपनी लागत भी वसूल नहीं कर पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री की अपील और केंद्र से अपेक्षाएं
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 13 जून, 2025 को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर इस संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने NAFED और NCCF जैसे केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से तत्काल खरीद शुरू करने और मूल्य अंतर भुगतान योजना लागू करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही, उन्होंने बाजार हस्तक्षेप योजना शुरू करने की मांग की है, ताकि किसानों को कम से कम उनकी बुनियादी लागत प्राप्त हो सके। सिद्धारमैया ने अपने पत्र में चेतावनी दी है कि यदि त्वरित कार्रवाई नहीं की गई, तो यह संकट ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर आर्थिक और सामाजिक परिणामों को जन्म दे सकता है।
कर्नाटक सरकार भी इस संकट से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है। बागवानी मंत्री ने मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की है, और आमों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को ₹3 प्रति किलो से बढ़ाकर ₹4-5 प्रति किलो करने की संभावना तलाशी जा रही है। कोलार के सांसद मुनिस्वामी ने भी राज्य सरकार से MSP की घोषणा करने की मांग की है, ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके।
तोतापुरी आमों पर प्रतिबंध: एक अतिरिक्त चुनौती
आंध्र प्रदेश ने 7 जून, 2025 को कर्नाटक से तोतापुरी आमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया, जो कोलार जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों के किसानों के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। ये किसान अपनी उपज को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में प्रसंस्करण इकाइयों तक भेजते हैं। यह प्रतिबंध आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रहा है और किसानों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस कदम को संघीयता की भावना के खिलाफ बताया और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखकर प्रतिबंध हटाने की मांग की है। कर्नाटक के मुख्य सचिव शालिनी राजनीश ने भी आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव से इस मुद्दे को हल करने के लिए संपर्क किया है। यह विवाद आर्थिक और अंतरराज्यीय संबंधों के दृष्टिकोण से संवेदनशील है।
कर्नाटक में आम की खेती का महत्व
कर्नाटक में आम की खेती एक प्रमुख बागवानी फसल है, जो स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को समर्थन देती है। अल्फांसो और तोतापुरी जैसी किस्में अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं। बडामी, रसापुरी और सेन्दुरा जैसी अन्य किस्में भी बाजार में महत्वपूर्ण मांग रखती हैं। भारत की कुल आम उत्पादन क्षमता 26.3 मिलियन टन है, जिसमें कर्नाटक का योगदान उल्लेखनीय है। इस वर्ष की कीमतों में गिरावट और तोतापुरी आमों पर प्रतिबंध ने इस क्षेत्र को संकट में डाल दिया है। विशेष रूप से तोतापुरी आम, जो प्रसंस्करण उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं, इस प्रतिबंध से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
विरोध प्रदर्शन और सामाजिक प्रभाव
कोलार और श्रीनिवासपुर में किसानों ने सड़कों पर आम फेंककर और बंद का आह्वान करके अपनी निराशा व्यक्त की है। श्रीनिवासपुर में आम उत्पादक संघ ने कीमतों में गिरावट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और MSP की मांग की। इन विरोध प्रदर्शनों ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। यदि यह संकट अनसुलझा रहा, तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक अशांति और आर्थिक अस्थिरता को बढ़ा सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
वर्तमान में, केंद्र सरकार की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई है, और यह मामला लंबित है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो यह संकट गंभीर आर्थिक परिणामों को जन्म दे सकता है। कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित MSP वृद्धि और केंद्र की मूल्य समर्थन योजनाएं इस संकट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। आंध्र प्रदेश के साथ तोतापुरी आमों पर प्रतिबंध को लेकर बातचीत भी इस संकट के समाधान में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस संकट का समाधान करना होगा, ताकि किसानों को राहत मिल सके और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिरता बनी रहे।