
शिक्षा, नीतीश कुमार |
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के नक्शे पर खींची गई लकीरों ने इतिहास को कैसे बदला? ये लकीरें केवल भूगोल नहीं, राजनीति, युद्ध, और शांति की कहानियाँ भी कहती हैं। चलिए, आज हम इन “रेखाओं की दुनिया” की एक यात्रा पर निकलते हैं।
• डूरंड रेखा (Durand Line)
सबसे पहले पहुँचते हैं अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर। 1893 में अंग्रेज़ अधिकारी सर डूरंड ने ये रेखा खींची थी। आज भी अफगानिस्तान इस रेखा को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता।
• मैकमाहोन रेखा (MacMahon Line)
अब आते हैं भारत-चीन सीमा पर। 1914 में खींची गई यह रेखा आज भी भारत और चीन के बीच विवाद का कारण है। अरुणाचल प्रदेश इसका प्रमुख हिस्सा है, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत कहता है।
• रेडक्लिफ रेखा (Radcliffe Line)
भारत-पाकिस्तान का बँटवारा इस रेखा ने किया था। 1947 में एक अंग्रेज़ लॉर्ड सिरिल रेडक्लिफ ने मात्र 5 हफ्तों में इसे खींचा, और इसके बाद भारत-पाकिस्तान का जन्म हुआ।
• 17वीं समानांतर रेखा (17th Parallel)
वियतनाम युद्ध में इस रेखा ने उत्तर वियतनाम और दक्षिण वियतनाम को अलग किया। यह केवल युद्ध की रेखा नहीं, विचारधाराओं का विभाजन भी था – साम्यवाद बनाम लोकतंत्र।
• 24वीं समानांतर रेखा (24th Parallel)
कभी-कभी 1947 के भारत-पाक युद्ध या अन्य संदर्भों में इस रेखा का उल्लेख हुआ है, पर यह कोई आधिकारिक या मान्यता प्राप्त सीमा रेखा नहीं है।
भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LoC) 24वें समानांतर पर नहीं है।
भारत और पाकिस्तान के बीच दो प्रमुख सीमाएं हैं:
• International Border (अंतरराष्ट्रीय सीमा)
• Line of Control (LoC)
जो 1972 के शिमला समझौते के बाद स्थापित हुई।
इसलिए 24वीं समानांतर को वास्तविक सीमा मानना ऐतिहासिक रूप से गलत है।
• 38वीं समानांतर रेखा (38th Parallel)
कोरियाई प्रायद्वीप में यह रेखा उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया को अलग करती है। यह सीमा आज भी एक संघर्ष बिंदु है, जहाँ सैनिक आमने-सामने रहते हैं।
• 49वीं समानांतर रेखा (49th Parallel)
यह सीमा अमेरिका और कनाडा के बीच शांति की मिसाल है। दोनों देश सौहार्दपूर्वक इस रेखा के दोनों ओर रहते हैं।
• हिंडनबर्ग रेखा (Hindenburg Line)
यह कोई भौगोलिक अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं थी।
यह प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1917 में जर्मनी द्वारा बनाई गई एक सैन्य रक्षात्मक रेखा थी। इसे “जर्मनी और पोलैंड के बीच की सीमा” कहना भ्रामक है। यह सिर्फ एक युद्धकालीन मोर्चा था, जिसका उद्देश्य दुश्मनों को रोकना था।
• ओडर-नाइस रेखा (Oder-Neisse Line)
दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और पोलैंड की नई सीमा बनी। यह रेखा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप की नई भौगोलिक सच्चाई बन गई।
• मैगिनाट रेखा (Maginot Line)
फ्रांस ने जर्मनी से बचाव के लिए यह रक्षात्मक दीवार जैसी रेखा बनाई थी। परंतु जर्मनी ने द्वितीय विश्व युद्ध में इसे बाईपास कर दिया, जिससे यह रेखा इतिहास में असफल योजना मानी जाती है।
• सीजफ्रिड रेखा (Siegfried Line)
यह जर्मनी की प्रतिक्रिया थी मैगिनाट लाइन पर। द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी ने इसे अपनी पश्चिमी सीमा की रक्षा के लिए बनाया।
सीखने योग्य बात:
इन रेखाओं ने भले ही सीमाएं तय की हों, लेकिन ये इतिहास, राजनीति और मानवता के सबक भी सिखाती हैं। हर रेखा के पीछे एक कहानी है – कुछ शांति की, कुछ संघर्ष की, और कुछ उम्मीद की।
क्या आपको पता था?
आज भी दुनिया में 250 से ज्यादा सीमा विवाद सक्रिय हैं। सीमाएं केवल नक्शे पर नहीं, लोगों के दिलों में भी खिंच जाती हैं।