
नेशनल डेस्क, प्रीति पायल |
केंद्र का अलर्ट: 2 साल से कम उम्र के बच्चों को न दें कफ सिरप, एमपी-राजस्थान में 12 मौतों के बाद एडवाइजरी
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से हुई संदिग्ध मौतों के बाद केंद्र सरकार ने देशभर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक अहम एडवाइजरी जारी की है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) की ओर से जारी इस सलाह में साफ तौर पर कहा गया है कि दो वर्ष से छोटे बच्चों को खांसी व सर्दी की किसी भी दवा का सेवन नहीं कराना चाहिए।
छिंदवाड़ा जिले में नौ बच्चों की जान चली गई, जिनमें अधिकतर पांच साल से कम आयु के थे। इन बच्चों में कफ सिरप सेवन के बाद सर्दी-जुकाम, हल्का बुखार, यूरिन में कमी और गुर्दे की विफलता के लक्षण दिखे। पांच बच्चे महाराष्ट्र के नागपुर में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहे। स्थानीय प्रशासन ने एहतियातन कोल्डरिफ और नेक्स्ट्रोस डीएस नामक दो ब्रांड्स पर प्रतिबंध लगाया है।
कुल 19 नमूनों की जांच हुई, जिनमें से नौ के परिणाम नकारात्मक आए हैं। दस नमूनों (जिनमें प्रतिबंधित दोनों ब्रांड शामिल) के परिणामों का इंतजार है।
यहां तीन मौतें डेक्सट्रोमेथॉर्फन आधारित कफ सिरप से जुड़ी हैं, जो राज्य की निःशुल्क दवा योजना के अंतर्गत बांटा जा रहा था। मृत बच्चों में उल्टी, सुस्ती, चक्कर, बेचैनी और बेहोशी के लक्षण दिखे। एक मामले में अमोड्रोक्सोल सिरप का उल्लेख है। राज्य ने इस सिरप का वितरण रोक दिया है और आपूर्तिकर्ता कैसंस फार्मा की सभी 19 दवाओं की सप्लाई बंद कर दी है।
डॉ. सुनीता शर्मा द्वारा जारी इस सलाह में निम्न बातें कही गई हैं:
- दो साल से छोटे बच्चों के लिए
- खांसी और सर्दी की दवाओं का इस्तेमाल पूर्णतः वर्जित
- यह आयु वर्ग के लिए ये दवाएं सुरक्षित नहीं मानी जातीं
- पांच साल से कम आयु के बच्चों के लिए
- आवश्यक होने पर केवल चिकित्सक की सलाह पर उपयोग
- निर्धारित खुराक का सख्त पालन
- न्यूनतम समयावधि के लिए प्रयोग
- एक साथ कई दवाओं का मिश्रण न करें
- निरंतर निगरानी आवश्यक
- सामान्य दिशानिर्देश
- अधिकांश बच्चों में गंभीर खांसी बिना दवा के स्वयं ठीक हो जाती है
- चिकित्सकों को प्रिस्क्रिप्शन में सावधानी बरतने की हिदायत
- सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अच्छी विनिर्माण प्रथाओं वाले उत्पाद ही खरीदने और बांटने के निर्देश
- फार्मास्यूटिकल ग्रेड एक्सीपिएंट्स के उपयोग को सुनिश्चित करना
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि मध्य प्रदेश के नमूनों में डायथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल नहीं मिला, जो गुर्दों को हानि पहुंचाने वाले मुख्य दूषित तत्व हैं। राजस्थान के एक मामले में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल की अनुपस्थिति भी कन्फर्म हुई है।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, ICMR, AIIMS-नागपुर और राज्य अधिकारियों की बहुविषयक टीम ने मध्य प्रदेश का दौरा किया। सिरप के नमूने, रक्त, CSF, पानी और अन्य नमूनों की जांच की गई।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से इस एडवाइजरी का तुरंत अमल करने की अपील की है। तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इसे तत्काल लागू कर दिया है। यह घटना 2022-23 के कफ सिरप कांड की याद दिलाती है जब डायथिलीन ग्लाइकॉल से कई मौतें हुई थीं।