
नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
गयाजी में राष्ट्रपति मुर्मू ने किया पिंडदान, पितृपक्ष महासंगम में आध्यात्मिक आस्था का अनूठा संगम....
गयाजी: मोक्ष की भूमि गयाजी आज एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी, जब देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने पितृपक्ष महासंगम के पावन अवसर पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया। राष्ट्रपति के इस व्यक्तिगत और आध्यात्मिक दौरे ने न केवल गया की धार्मिक महत्ता को विश्व पटल पर स्थापित किया, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति उनकी गहरी आस्था का भी प्रतीक बना।
राष्ट्रपति का विशेष विमान आज सुबह गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, जहाँ बिहार के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका भव्य स्वागत किया। हवाई अड्डे से राष्ट्रपति का काफिला कड़ी सुरक्षा के बीच सीधे विष्णुपद मंदिर के लिए रवाना हुआ। पूरे रास्ते भर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे और आम लोगों की आवाजाही को नियंत्रित किया गया था, ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
विष्णुपद मंदिर परिसर में राष्ट्रपति ने विधिवत पूजा-अर्चना की और अपने कुल के पुरोहितों की उपस्थिति में पिंडदान का कर्मकांड संपन्न किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने फाल्गु नदी में तर्पण किया और अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने की कामना की। इस दौरान मंदिर परिसर में मौजूद अन्य श्रद्धालुओं ने भी इस पवित्र क्षण को देखा और राष्ट्रपति के आध्यात्मिक समर्पण की सराहना की। यह पहली बार है जब किसी मौजूदा राष्ट्रपति ने व्यक्तिगत रूप से पितरों का पिंडदान करने के लिए गया की यात्रा की है।
राष्ट्रपति के इस दौरे का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह गया के पर्यटन और सांस्कृतिक विकास के लिए भी एक बड़ा प्रोत्साहन है। उनके आगमन से पहले ही जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की थीं, जिसमें शहर की साफ-सफाई, सौंदर्यीकरण और सुरक्षा व्यवस्था को विशेष रूप से सुदृढ़ किया गया था। इस यात्रा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आधुनिकता और संवैधानिक पद की गरिमा के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ें भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा बिहार की संस्कृति और परंपराओं के साथ उनके गहरे जुड़ाव को भी दर्शाता है। इससे पहले, उन्होंने झारखंड, ओडिशा और अन्य राज्यों में भी इसी तरह के व्यक्तिगत और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया है। यह एक ऐसा कदम है जो देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति की सादगी, आस्था और भारतीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। दोपहर 12 बजे राष्ट्रपति का दिल्ली वापसी का कार्यक्रम था। उनके इस अल्पकालिक लेकिन महत्वपूर्ण दौरे ने गयाजी के धार्मिक महत्व को एक नई पहचान दी है और पितृपक्ष महासंगम की गरिमा को बढ़ाया है।