
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
गाज़ा में जारी भीषण संघर्ष और बढ़ते मानवीय संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्धविराम प्रस्ताव पर गुरुवार को मतदान हुआ। 15 सदस्यीय परिषद के 14 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन अमेरिका ने वीटो का प्रयोग करते हुए इसे खारिज कर दिया। इस प्रस्ताव में गाज़ा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की मांग की गई थी।
प्रस्ताव की मुख्य बातें
निर्वाचित 10 सदस्यों द्वारा तैयार किए गए इस मसौदे में गाज़ा में जारी हिंसा को रोकने की अपील थी। इसमें इज़रायल से कहा गया था कि वह फ़लस्तीनी क्षेत्रों में मानवीय सहायता पर लगे प्रतिबंधों को हटाए। साथ ही, हमास और अन्य संगठनों द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की तत्काल और सम्मानजनक रिहाई की भी मांग की गई थी।
अमेरिका का रुख
अमेरिका ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मसौदा संघर्ष की वास्तविक जटिलताओं को ध्यान में नहीं रखता। अमेरिका पहले भी कई बार ऐसे प्रस्तावों को रोक चुका है और हमेशा इज़रायल के आत्मरक्षा के अधिकार की पैरवी करता रहा है। जून 2025 में भी अमेरिका ने इसी तरह के प्रस्ताव को वीटो कर दिया था।
इज़रायल-गाज़ा में हालात
मतदान के समय गाज़ा में हालात बेहद तनावपूर्ण थे। इज़रायली टैंक और लड़ाकू विमान गाज़ा शहर में लगातार बमबारी कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बड़े ज़मीनी हमले के कारण हज़ारों फ़लस्तीनी नागरिकों को दक्षिण की ओर पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में गाज़ा में अकाल की आधिकारिक घोषणा की थी, जिसके चलते यह प्रस्ताव पेश किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव और कई मानवीय संगठनों ने अमेरिका के वीटो पर निराशा जताई है। उनका कहना है कि लगातार जारी युद्ध से गाज़ा में मानवीय संकट और गंभीर होता जा रहा है। वहीं, अरब देशों और यूरोपीय संघ ने इस कदम की आलोचना की है और कहा है कि नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
पाक-चीन का संयुक्त प्रस्ताव
इसी बीच, पाकिस्तान और चीन ने UNSC में एक अलग प्रस्ताव पेश किया है। इसमें बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और इसकी आत्मघाती विंग मजीद ब्रिगेड को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की गई है। यह प्रस्ताव 1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति के तहत आता है। पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि आसिम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि बीएलए और उसकी विंग सहित कई आतंकी संगठन अफगानिस्तान के ठिकानों से सक्रिय हैं, जहां से वे सीमा पार हमले करते हैं।
अमेरिका के वीटो ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर गाज़ा में युद्धविराम की मांग तेज़ है, वहीं दूसरी ओर भू-राजनीतिक समीकरण समाधान में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं। अब दुनिया की निगाहें इस पर हैं कि क्या आने वाले दिनों में कोई नया रास्ता निकलेगा या गाज़ा में हालात और बिगड़ेंगे।