स्टेट डेस्क, एन के सिंह।
कांग्रेस 35 साल बाद वापसी को बेताब, प्रतिष्ठा की जंग: चंपारण की ज़मीन पर बाहुबली बनाम भूमिपुत्र का आर-पार मुकाबला पूर्वी चम्पारण: महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में, गोविंदगंज विधानसभा सीट केवल एक चुनावी अखाड़ा नहीं, बल्कि पूरे राज्य की राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुकी है। यह सीट अब केवल विधायकों को चुनने भर की नहीं, बल्कि विरासत बनाम संघर्ष, बाहरी बनाम भीतरी, और बाहुबल बनाम जन समर्थन की एक महागाथा लिख रही है। इंजीनियर शशि भूषण रायपुर गप्पू राय, राजनीतिक कार्यकर्ता है और एक लंबे समय से गोविंदगंज क्षेत्र में अपनी राजनीति भूमि तैयार की है गोविंदगंज स्वाधीनता संग्राम में स्वतंत्रता सेनानियों का प्रमुख स्थान रहा था।
1990 से 95 की दशक, में मगर एक निर्दलीय उम्मीदवार ने कांग्रेस को हराकर जीत दर्ज की उसके बाद से वहां कोई कांग्रेसी उम्मीदवार जीत नहीं दर्ज कर सका इस 35 वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी ने एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में इंजीनियर शशि भूषण राय उर्फ गप्पू राय एनडीए के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे रहेहैं। दोनों प्रमुख गठबंधनों ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है, जिसके चलते यहाँ का मुकाबला 'आमने-सामने' से बदलकर 'आर-पार' की लड़ाई में तब्दील हो गया है। मैदान में आमने-सामने: बाहुबल का वारिस बनाम ज़मीन से जुड़ा जननेता गोविंदगंज में मुख्य मुकाबला महागठबंधन कांग्रेस और एनडीए भाजपा जदयू गठबंधन के बीच है।
उम्मीदवार और गठबंधन प्रमुख हाईलाइट्स चुनावी नैरेटिव
शशि भूषण राय 'गप्पू राय' (महागठबंधन, कांग्रेस) भीतरी और ज़मीन से जुड़े नेता। जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय के पति। कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष। चर्चित लोकप्रिय समाजसेवी 'बाहरी भगाओ, भीतरी लाओ'भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, अपराध और महंगाई जैसे स्थानीय मुद्दे।
राजन तिवारी एनडीए गठबंधन,उत्त्तर प्रदेश से आकर विरासत में मिली सीट के पूर्व विधायक बाहुबली छवि। 'विकास और विरासत'। पूर्व के विकास कार्य और एनडीए के बड़े नेताओं पर निर्भरता।
सबसे बड़ा मुद्दा: 'बाहरी' बनाम 'भीतरी' का ज्वलंत प्रश्न
गोविंदगंज के गलियों और चौपालों में सबसे ज़ोरदार ढंग से जो मुद्दा उठ रहा है, वह है 'बाहरी बनाम भीतरी' का।
महागठबंधन इसे ज़ोर-शोर से उठा रहा है। उनका तर्क है कि जब ज़िले का अपना लोकप्रिय नेता मौजूद है, तो उत्तर प्रदेश से आए बाहुबली उम्मीदवार को क्यों चुना जाए? वे गप्पू राय को 'भूमिपुत्र' के रूप में पेश कर रहे हैं, जो हर सुख-दुख में जनता के साथ खड़ा रहा है।
एनडीए के उम्मीदवार इस नैरेटिव को 'विरासत' और 'विकास' के नाम पर काटने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि 'विकास' किसी क्षेत्र विशेष का मोहताज नहीं होता और गोविंदगंज की जनता ने उन्हें पहले भी मौका दिया है।
स्टार पावर का तड़का: चुनावी त्योहार, बॉलीवुड कनेक्शन
इस सीट की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ दोनों गठबंधनों ने अपने राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारकों और भोजपुरी फिल्म जगत के दिग्गजों की फौज उतार दी है।
महागठबंधन की ताक़त: प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, भूपेश बघेल, और भोजपुरी फ़िल्मों के लोकप्रिय कलाकार यहाँ प्रचार कर चुके हैं। इन सितारों के आगमन ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने के साथ-साथ, स्थानीय जनता को चुनावी शोर में पूरी तरह सराबोर कर दिया है।
एनडीए का जवाब: जे.पी. नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चिराग पासवान और भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह जैसे कद्दावर नेताओं ने धुआँधार रैलियां कर जनता से सीधा संवाद किया है।
जनता में उत्साह: चुनावी माहौल अब किसी त्योहार से कम नहीं है। टीवी और सिनेमा के पर्दे पर दिखने वाले सितारों को अपने सामने देखकर गोविंदगंज की जनता का जोश सातवें आसमान पर है।
गोविंदगंज का फैसला: जो बिहार की राजनीति को देगा नई दिशा
गोविंदगंज की जनता हमेशा से अपने विवेक और समझदारी के लिए जानी जाती है। यहाँ के मतदाता भावनाओं से ज़्यादा विकास, ईमानदारी और स्थानीय सम्मान के मुद्दों पर वोट करते रहे हैं।
यह चुनाव केवल गोविंदगंज विधानसभा क्षेत्र का भाग्य तय नहीं करेगा, बल्कि यह पूरे बिहार को एक मजबूत संदेश देगा। अगर 'बाहरी vs भीतरी' का मुद्दा हावी होता है, तो यह आने वाले चुनावों के लिए एक नया राजनीतिक मॉडल स्थापित कर सकता है। वहीं, अगर 'विकास और विरासत' की बात काम कर जाती है, तो एनडीए गठबंधन अपनी ताक़त और पकड़ बनाए रखने में सफल होगा।
एक बात स्पष्ट है: हार-जीत जो भी हो, गोविंदगंज अब बिहार की राजनीति का एक अहम केंद्र बन चुका है, और यहाँ का निर्णय सत्ता के गलियारों में दूरगामी परिणाम पैदा करेगा।







