Ad Image
Ad Image
टाइफून मातमो तूफान को लेकर चीन में ऑरेंज अलर्ट, सेना तैयार || हमास बंधकों को करेगा रिहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने गाजा पर बमबारी रोकने को कहा || पहलगाम हमले के बाद पता चला कौन भारत का असली मित्र: मोहन भागवत || भारत के साथ व्यापार असंतुलन कम करने का अपने अधिकारियों को पुतिन का आदेश || मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम की इजरायल से अपील, हिरासत में लिए मेक्सिको के नागरिकों को जल्दी रिहा करें || शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र का मिर्जापुर में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि || स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं: मोहन भागवत || अमित शाह ने कहा, देश अगले 31 मार्च तक नक्सलवादी लाल आतंक से मुक्त होगा || भारतीय क्रिकेट टीम ने जीता एशिया कप, PM समेत पूरे देश ने दी बधाई || तमिलनाडु: एक्टर विजय की रैली में भगदड़, 31 की मौत, 40 से ज्यादा घायल

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

ग्लोबल साउथ गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है: विदेश मंत्री

नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार |

नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने दुनिया भर में बढ़ती अनिश्चितता पर चिंता जताते हुए कहा कि विकासशील देशों के लिए अपने अधिकारों और अपेक्षाओं को पूरा करना बड़ी चुनौती बन गया है।

उन्होंने बहुपक्षवाद की अवधारणा को संकटग्रस्त बताते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन या तो अप्रभावी हो रहे हैं या संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, जिससे मौजूदा व्यवस्था की बुनियाद कमजोर पड़ रही है। संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं में जरूरी सुधारों में देरी का असर अब साफ दिखाई दे रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र में भाग लेने न्यूयॉर्क पहुंचे डॉ. जयशंकर ने मंगलवार को ग्लोबल साउथ देशों की उच्चस्तरीय बैठक में भारत का दृष्टिकोण रखा। विदेश मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने मौजूदा वैश्विक हालात को विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के लिए चुनौतीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब दुनिया की स्थिति लगातार अनिश्चित हो रही है और यह दक्षिणी देशों के लिए और अधिक कठिनाइयाँ लेकर आई है।”

उन्होंने कोविड महामारी, यूक्रेन और गाजा संघर्ष, जलवायु संकट, व्यापार अस्थिरता, निवेश प्रवाह और ब्याज दरों में अनिश्चितता तथा सतत विकास लक्ष्यों की धीमी प्रगति को प्रमुख चुनौतियों के रूप में गिनाया। उनका कहना था कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विकासशील देशों के अधिकार और अपेक्षाएँ, जिन्हें दशकों में गढ़ा गया है, आज गंभीर दबाव में हैं।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि स्वाभाविक रूप से ग्लोबल साउथ समाधान के लिए बहुपक्षवाद की ओर देखेगा, लेकिन दुर्भाग्य से वहां भी स्थिति निराशाजनक है। उन्होंने जोर दिया कि अब समान विचारधारा वाले देशों को सिद्धांतों के आधार पर कुछ अहम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इनमें निष्पक्ष आर्थिक व्यवस्था, संतुलित और सतत आर्थिक गतिविधियाँ, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला, खाद्य-ऊर्जा सुरक्षा, साझा संसाधनों की रक्षा, पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटना, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और समान अवसर शामिल हैं।

विदेश मंत्री ने इन लक्ष्यों को पाने के लिए भारत के पाँच सुझाव भी रखे - ग्लोबल साउथ में परामर्श और सहयोग को मजबूत करना, वैक्सीन उत्पादन व डिजिटल क्षमताओं जैसे सफल अनुभव साझा करना, जलवायु कार्रवाई में ग्लोबल साउथ को प्राथमिकता देना, भविष्य की तकनीकों खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा करना और संयुक्त राष्ट्र समेत बहुपक्षवाद में सुधार को आगे बढ़ाना।