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जब तक सारे नक्सली पकड़े या मारे नहीं जाते, चैन से नहीं बैठेगी सरकार: शाह

नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर नक्सलवाद के खिलाफ मोदी सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति को दोहराते हुए एक बड़ा और सख्त बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जब तक सभी नक्सली आत्मसमर्पण नहीं कर देते, पकड़े नहीं जाते या उनका पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता, तब तक मोदी सरकार चैन से नहीं बैठेगी। यह बयान भारत को नक्सलवाद मुक्त बनाने के सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ में 'ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट' में शामिल सुरक्षाबलों के जवानों को सम्मानित करते हुए यह बात कही। उन्होंने इस ऑपरेशन की सराहना की, जिसमें सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के बेस कैंप को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। शाह ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन से नक्सलवाद की कमर टूटी है और यह हमारी निर्णायक जीत का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक देश को पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, और इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है।

अमित शाह ने नक्सलियों से भी मानवीय अपील करते हुए कहा कि वे हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आएं। उन्होंने कहा कि कोई भी नक्सली जब मारा जाता है, तो किसी को खुशी नहीं होती। उन्होंने नक्सलियों को आश्वस्त किया कि आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार की विकास योजनाओं का हिस्सा बनाया जाएगा और उन्हें एक सामान्य जीवन जीने का मौका मिलेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हथियार उठाकर वे केवल अपने ही आदिवासी भाइयों और बहनों के विकास में बाधा डाल रहे हैं।

सरकार की नीति दोहरी है: एक तरफ, विकास की योजनाओं को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाया जा रहा है, ताकि लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। वहीं दूसरी तरफ, जो लोग हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ रहे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। शाह ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में भारी कमी आई है और अब यह केवल कुछ ही जिलों तक सीमित रह गया है। सरकार ने इन इलाकों में स्कूलों, अस्पतालों और बुनियादी ढांचे का निर्माण करके विकास को बढ़ावा दिया है, जिससे लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।

यह बयान इस बात का भी प्रमाण है कि सरकार अपनी आंतरिक सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीर है। नक्सलवाद को देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा मानते हुए, सरकार ने सुरक्षाबलों को हर संभव संसाधन और अधिकार दिए हैं। घायल जवानों के लिए विशेष योजनाओं का भी उल्लेख किया गया, जो उनके त्याग और बलिदान के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है। गृह मंत्री का यह संदेश साफ है: या तो हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करो, या सुरक्षाबलों की निर्णायक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहो। सरकार अपने लक्ष्य को हासिल करने तक रुकने वाली नहीं है।