
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
जापान की प्रौद्योगिकी और भारत की प्रतिभा मिलकर करेंगी नई तकनीकी क्रांति का नेतृत्व : प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जापान की राजधानी टोक्यो में भारतीय प्रवासियों और जापानी उद्योग जगत को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और जापान की साझेदारी 21वीं सदी में एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की दिशा और दशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि जापान की उन्नत प्रौद्योगिकी और भारत की प्रतिभा व मानव संसाधन मिलकर इस सदी की तकनीकी क्रांति का नेतृत्व करेंगे।
प्रधानमंत्री ने जापान को भारत की विकास यात्रा का अहम साझेदार बताते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में दोनों देश विनिर्माण, स्वच्छ ऊर्जा, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे और नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह साझेदारी केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका सीधा असर एशिया की शांति, स्थिरता और समृद्धि पर भी पड़ेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत की युवा शक्ति और जापान की तकनीकी विशेषज्ञता मिलकर भविष्य की पीढ़ियों को नई दिशा दे सकती है। यह साझेदारी एशिया में विकास का नया आयाम खोलेगी और वैश्विक स्तर पर भी नए अवसर पैदा करेगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत-जापान सहयोग केवल एशिया तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अफ्रीका और ग्लोबल साउथ में विकास की प्रक्रिया को गति देने में भी मदद करेगा।
उन्होंने जापानी उद्योग जगत से भारत में निवेश बढ़ाने की अपील की और कहा कि भारत आज तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, जहां नवाचार और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में अपार संभावनाएं हैं। मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत “मेक इन इंडिया” और “मेक फॉर द वर्ल्ड” के विज़न के साथ आगे बढ़ रहा है और जापानी कंपनियों को इसमें अहम भूमिका निभानी चाहिए।
कुल मिलाकर, मोदी की यह यात्रा भारत-जापान संबंधों को नई ऊँचाई देने वाली मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों की साझेदारी एशिया में संतुलन और विकास का नया मॉडल पेश कर सकती है और वैश्विक स्तर पर तकनीकी क्रांति को एक नई दिशा दे सकती है।