विदेश डेस्क, ऋषि राज |
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने अब तक आठ युद्धों को रुकवाने में भूमिका निभाई है और यदि उन्हें कहा जाए तो वह अफगानिस्तान–पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष को भी "चुटकी में" रोक सकते हैं। ट्रंप ने यह बात यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ लंच के दौरान मीडिया से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है और उन्हें इस काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार न मिलने पर निराशा है, लेकिन पुरस्कार की चाह उनकी प्रेरणा नहीं है।
लंच के बाद संवाददाताओं से बातचीत में ट्रंप ने कहा, "मैंने बहुत युद्ध रोके हैं; आठ युद्ध। मुझे लगता है कि अगर हम चाहें तो अफगानिस्तान और पाकिस्तान का मसला भी आसानी से सुलझ सकता है। मेरे लिए यह आसान काम है।" उन्होंने यह भी दोहराया कि उनका मकसद शांति और मानव जीवन की रक्षा है, न कि कोई अंतरराष्ट्रीय सम्मान पाने की लालसा। "मुझे नोबेल की परवाह नहीं है," उन्होंने कहा, "मुझे बस लोगों की जान बचाने की परवाह है।"
ट्रंप के इन बयानों ने वैश्विक और घरेलू स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ पैदा कर दी हैं। उनके समर्थक इसे सकारात्मक दखलअंदाजी और कूटनीतिक सक्रियता के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि आलोचक इसे दावों से भरा और व्यावहारिकता से दूर बता रहे हैं। कई विदेशनीति विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्रीय संघर्षों का समाधान जटिल कूटनीति, स्थानीय साझेदारों और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के बीच संतुलन मांगता है — और इसे केवल एक व्यक्तिविशेष के घोषणा-ए-इरादे से हल करना संभव नहीं होता।
विशेषज्ञों ने यह भी रेखांकित किया कि अफगानिस्तान–पाकिस्तान सीमा मुद्दे में स्थानीय राजनीतिक समूहों, मिलिशिया और भौगोलिक परिस्थितियों की बड़ी भूमिका है, इसलिए किसी भी समाधान के लिए व्यापक बहुपक्षीय प्रयास और दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत होगी। एक अंतरराष्ट्रीय नीति विश्लेषक ने कहा, "ट्रम्प का आत्मविश्वास कूटनीति में मददगार हो सकता है, पर असल सफलता के लिए विस्तृत वार्ता, भरोसे का निर्माण और क्षेत्रीय भागीदारों की सहमति अनिवार्य है।"
ट्रंप ने यह भी बताया कि उन्होंने अतीत में विवादों को हल करने के लिए 'कठोर' आर्थिक उपायों का इस्तेमाल किया, जिनका असर कई बार तत्काल शांति लाने में दिखा है। उन्होंने कहा कि अगर आवश्यक हो तो वे फिर से ऐसी नीतियाँ अपनाने के लिए तैयार हैं। हालांकि उन्होंने किसी विशेष रणनीति का ज़िक्र नहीं किया कि अफगानिस्तान–पाकिस्तान झड़प को कैसे रोका जाएगा।
ट्रम्प के दावों ने एक बार फिर वैश्विक कूटनीति में उनकी सक्रियता और 'बोल्ड' स्टाइल को उभारा है, लेकिन वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि वे किस तरह के कदम उठाते हैं और क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय साझेदार उनकी पहल के साथ कब और किस हद तक जुड़ते हैं।







