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रिपोर्ट: ऋषि राज
वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यह दावा किया है कि उन्होंने हालिया भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को समाप्त कराया था — और वह भी व्यापार के माध्यम से। यह बयान उन्होंने बुधवार को व्हाइट हाउस स्थित ओवल ऑफिस में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ एक तीखे लेकिन सार्वजनिक द्विपक्षीय संवाद के दौरान दिया।
ट्रंप का दावा
“अगर आप देखें कि हमने पाकिस्तान और भारत के साथ क्या किया… हमने उस पूरे संघर्ष को सुलझा दिया… और मेरा मानना है कि हमने यह व्यापार के माध्यम से किया।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका इस समय भारत के साथ एक बड़ा व्यापार समझौता कर रहा है।
अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता
ट्रंप के इस बयान के बाद एक बार फिर अमेरिका की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं, जबकि भारत सरकार लगातार यह कहती रही है कि अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ है। इसी कड़ी में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लटनिक के बीच एक द्विपक्षीय बैठक भी हुई, जिसमें व्यापार समझौते के पहले चरण को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई।
भारत का स्पष्ट इनकार
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसी सप्ताह एक संसदीय समिति के सामने साफ कहा था कि
“भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं रही और ना ही उन्हें इसकी कोई सूचना दी गई थी।”
जब उनसे पूछा गया कि सबसे पहले संघर्ष विराम की घोषणा ट्रंप ने ही क्यों की, तो उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत केवल सामान्य राजनयिक संवाद का हिस्सा थीं।
ट्रंप का तर्क “किसी न किसी को आखिरी गोली चलानी थी। लेकिन गोलीबारी बद से बदतर होती जा रही थी, दोनों देशों की सीमा के अंदर तक गहराई से घुस रही थी।”
“मुझे यह कहने से नफरत है कि हमने इसे सुलझा लिया, और फिर दो दिन बाद कुछ हो जाए, और लोग कहें कि ये ट्रंप की गलती है।”
भारतीय और पाकिस्तान के नेता की तारीफ
ट्रंप ने पाकिस्तान के नेता को "महान" बताया और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ करते हुए उन्हें "एक शानदार इंसान" कहा। ट्रंप और रामाफोसा दोनों ने कहा कि मोदी उनके साझा मित्र हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी टिप्पणी
ट्रंप ने आगे यह भी बताया कि वह रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को सुलझाने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह दावा एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है, खासतौर पर तब जब भारत इस तरह के किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को नकार चुका है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं पर इस बयान का क्या असर पड़ता है।