
विदेश डेस्क, प्रीति पायल |
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर देते हुए कहा है कि "ट्रंप कहें या न कहें, मोदी महान हैं, भारत अपनी विदेश नीति खुद बनाता है।" यह टिप्पणी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान विवाद में मध्यस्थता के दावे के जवाब में आई है।
ट्रंप ने दावा किया था कि वर्ष 2019-2020 के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच गहराते संकट के समय उन्होंने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। उनका कहना था कि दोनों देशों के रिश्ते अत्यधिक संवेदनशील थे और उनके हस्तक्षेप ने युद्ध जैसी परिस्थिति को टालने में सहायता की।
भारत सरकार ने शुरू से ही यह स्थिति स्पष्ट की है कि कश्मीर का मुद्दा सहित भारत-पाकिस्तान के सभी विषय द्विपक्षीय प्रकृति के हैं। विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस दावे को नकारते हुए स्पष्ट किया कि भारत ने कभी भी इस प्रकार की किसी तृतीय पक्ष की सहायता की अपेक्षा नहीं की।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने अपनी टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी को "महान" बताकर उनके नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की सशक्त उपस्थिति को उजागर किया है। यह बयान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में मोदी के प्रति समर्पण और उनके नेतृत्व में देश की उन्नति को प्रकट करता है।
फडणवीस ने इस बात पर बल दिया कि भारत अपनी राजनयिक नीतियां पूर्णतः स्वयं निर्धारित करता है, जो राष्ट्रीय स्वार्थों और स्वाधीनता पर केंद्रित होती हैं। यह भारत की "रणनीतिक स्वतंत्रता" की नीति को प्रदर्शित करता है, जिसके अनुसार भारत वैश्विक विषयों में स्वतंत्र फैसले करता है।
यह मामला 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के निरस्तीकरण के पश्चात उत्पन्न भारत-पाकिस्तान तनाव से जुड़ा है। उस दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर के विषय को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया था, परंतु भारत ने इसे अपना घरेलू मामला घोषित किया था। फडणवीस का वक्तव्य मोदी की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को और भी मजबूत बनाता है, विशेषकर ऐसे समय में जब भारत ने यूक्रेन-रूस जैसे वैश्विक संघर्षों में निष्पक्ष और स्वतंत्र दृष्टिकोण अपनाया है।
यह बयान भाजपा के देशी और विदेशी समर्थकों के मध्य भारत की दृढ़ स्थिति और मोदी के नेतृत्व को रेखांकित करने का प्रयास प्रतीत होता है। साथ ही यह विपक्षी दलों को भी उत्तर देता है, जो कभी-कभार सरकार की विदेश नीति पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। भाजपा के नेताओं ने फडणवीस के इस वक्तव्य का स्वागत किया है और इसे भारत की संप्रभुता तथा स्वतंत्रता का प्रतीक माना है। विपक्षी दलों की ओर से अभी तक कोई तीव्र प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, हालांकि कुछ नेताओं ने इसे "अनुचित बयानबाजी" की संज्ञा दी है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारत ने पहले ही ट्रंप के दावों को अस्वीकार कर दिया था, और फडणवीस का यह बयान भारत के इस दृढ़ रुख को और भी पुष्ट करता है।