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रिपोर्ट: ऋषि राज
वाशिंगटन, अमेरिका: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करने की अनुमति को रद्द कर दिया है। यह निर्णय अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी द्वारा लिया गया है, जिसकी घोषणा होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट (X) के माध्यम से की।
क्रिस्टी नोएम ने कहा, “हम हार्वर्ड को हिंसा, यहूदी-विरोधी और कैंपस में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय के लिए जवाबदेह ठहरा रहे हैं। विदेशी छात्रों को नामांकित करना किसी भी विश्वविद्यालय का अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है – खासकर जब वे उच्च ट्यूशन फीस देकर उन विश्वविद्यालयों के अरबों डॉलर के एंडोमेंट्स को और समृद्ध करते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि हार्वर्ड को “सही कदम उठाने के कई मौके मिले, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।”
नोएम द्वारा हार्वर्ड प्रशासन को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की Student Exchange Visitor Program (SEVP) की मान्यता रद्द कर दी गई है। यह कार्यक्रम Homeland Security Investigations द्वारा संचालित होता है, जो नोएम के नेतृत्व में काम करता है।
इस फैसले का सीधा असर यह होगा कि हार्वर्ड अब नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को प्रवेश नहीं दे पाएगा, और पहले से पढ़ रहे छात्रों को अपनी गैर-प्रवासी स्थिति बनाए रखने के लिए किसी अन्य विश्वविद्यालय में स्थानांतरण करना पड़ेगा।
यह कार्रवाई ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड के बीच बढ़ते तनाव का हिस्सा है। विश्वविद्यालय ने ट्रंप प्रशासन की उन मांगों को मानने से इनकार कर दिया था जो विविधता कार्यक्रमों और फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया से संबंधित थीं।
प्रशासन पहले ही हार्वर्ड के खिलाफ तीन बार संघीय फंडिंग और अनुदानों में कटौती कर चुका है, जिनकी कुल राशि 2.6 अरब डॉलर से अधिक है। नवीनतम कटौती सोमवार को की गई थी। हार्वर्ड ने इसके खिलाफ अमेरिकी संविधान का उल्लंघन बताते हुए एक मुकदमा भी दायर किया है।
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गर्बर ने इस सप्ताह विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से अपील की कि वे विश्वविद्यालय के समर्थन में आगे आएं और दान करें। उन्होंने ‘Presidential Priorities Fund’ और ‘Presidential Fund for Research’ नाम से दो फंड की शुरुआत की, जिनका उद्देश्य फंडिंग कटौती से हुई क्षति की भरपाई करना है।
प्रवासन कानून विशेषज्ञ लिओन फ्रेस्को ने अल जज़ीरा से कहा कि यह कदम विश्वविद्यालय के लिए वित्तीय झटका है और छात्रों के लिए एक बड़ा संकट।
उन्होंने कहा, “अगर विदेशी छात्र विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं कर सकते, तो उन्हें आगामी सेमेस्टर के लिए दिए गए ट्यूशन शुल्क की वापसी मिलनी चाहिए, जिस पर विश्वविद्यालय पहले ही निर्भर कर रहा था।”
यह निर्णय न केवल हार्वर्ड की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकता है, बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। विश्वविद्यालय और ट्रंप प्रशासन के बीच यह संघर्ष उच्च शिक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्रों में नई बहस को जन्म दे सकता है।