
नेशनल डेस्क, ऋषि राज |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित व्यापार वार्ता पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता को लेकर वह पूरी तरह से उत्सुक हैं और इसे दोनों देशों के बीच सहयोग की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाला कदम बताया। मोदी ने विश्वास जताया कि यह बातचीत साझा हितों और सहयोग की असीम संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करेगी।
हालाँकि, हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ ने दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है। ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाते हुए भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाया था, जिससे व्यापार वार्ता की प्रक्रिया जटिल हो गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि भारत अमेरिका का घनिष्ठ मित्र है और व्यापार वार्ता को किसी विवाद का रूप नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर है। मोदी ने भरोसा जताया कि टैरिफ जैसी अस्थायी समस्याओं के बावजूद दोनों देशों के बीच विश्वास और साझेदारी बनी रहेगी, और वार्ता से स्थायी समाधान निकलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका केवल व्यापारिक साझेदार नहीं बल्कि गहरे मित्र और स्वाभाविक सहयोगी हैं। दोनों देशों के बीच विश्वास और पारस्परिक सम्मान की मजबूत नींव पर आधारित यह वार्ता न केवल व्यापार क्षेत्र में बल्कि रणनीतिक, तकनीकी और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका अपने व्यापार संबंधों को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए कार्य कर रहे हैं और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुँचाने का लक्ष्य रख रहे हैं।
यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच दोनों देश अपने आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करना चाहते हैं। भारत अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन, शुल्क नीति, तकनीकी हस्तांतरण और निवेश में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इसे एक अवसर बताया कि आर्थिक असहमति को संवाद के ज़रिए सुलझाया जाए और साझेदारी को मजबूत किया जाए।
अंत में,प्रधानमंत्री मोदी ने आशा व्यक्त की कि व्यापार वार्ता के सकारात्मक परिणाम से भारत और अमेरिका के बीच विश्वास और सहयोग की नई शुरुआत होगी। टैरिफ जैसे मुद्दों को लेकर अस्थायी मतभेदों से परे जाकर दोनों देश मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगे और एक साझा भविष्य का निर्माण करेंगे।