विदेश डेस्क, ऋषि राज |
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा जल-रणनीतिक कदम उठाते हुए कुनार नदी पर बांध बनाने का एलान किया है। इस निर्णय से पाकिस्तान में पानी की भारी कमी और सूखे का खतरा बढ़ सकता है। तालिबान के इस कदम को विशेषज्ञ भारत की “वाटर स्ट्राइक” नीति से प्रेरित मान रहे हैं, जिसके तहत भारत ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान पर दबाव बनाया था।
तालिबान के कार्यवाहक जल मंत्री मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर घोषणा की कि अब अफगानिस्तान अपने जल संसाधनों का पूर्ण प्रबंधन करेगा। उन्होंने कहा कि बांध निर्माण का कार्य अब विदेशी कंपनियों के बजाय घरेलू अफगान कंपनियों द्वारा किया जाएगा। यह निर्णय तालिबान सर्वोच्च नेता मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा के निर्देश पर लिया गया है।
यह कदम उस समय आया है जब पाकिस्तान और तालिबान के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। हाल ही में पाकिस्तान ने काबुल पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को शरण देने का आरोप लगाया था, जिसे तालिबान सरकार ने सख्ती से नकार दिया। डूरंड रेखा पर लगातार बढ़ती हिंसा और सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच अविश्वास और गहरा गया है।
कुनार नदी, जो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से निकलकर अफगानिस्तान के कुनार और नंगरहार प्रांतों से होकर गुजरती है, पाकिस्तान की जल आपूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह नदी आगे चलकर काबुल नदी से मिलती है और सिंधु नदी में समाहित हो जाती है। पाकिस्तान में यह पानी खेती, पेयजल और जलविद्युत उत्पादन के लिए अहम भूमिका निभाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तालिबान ने कुनार पर बांध बनाकर पानी रोक दिया, तो पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्रों में कृषि और जल संकट गहराएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पानी बंटवारे की कोई संधि नहीं है, इसलिए पाकिस्तान के पास तालिबान को रोकने का कोई कानूनी विकल्प नहीं है।
तालिबान सरकार का दावा है कि वह इस कदम से अपने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है। अगस्त 2021 में सत्ता में आने के बाद से तालिबान लगातार नदियों और नहरों पर नियंत्रण मजबूत कर रहा है। इसका उदाहरण कोश तेपा नहर है, जो 285 किमी लंबी है और जिससे 5.5 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने की उम्मीद है।
यह नया निर्णय न केवल पाकिस्तान-अफगान तनाव को बढ़ा सकता है, बल्कि इससे दक्षिण और मध्य एशिया के जल-राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।







