
लोकल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
पटना: बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित थावे दुर्गा मंदिर आस्था और भक्ति का एक ऐसा केंद्र है, जहां सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं मां दुर्गा पूरी करती हैं। यह मंदिर न केवल स्थानीय भक्तों के लिए, बल्कि बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए भी आध्यात्मिक शांति का स्रोत है। जंगलों से घिरा यह प्राचीन मंदिर अपनी रहस्यमयी शक्ति और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन इतिहास और आध्यात्मिक महत्व
थावे दुर्गा मंदिर का गर्भगृह सदियों पुराना है, जिसके चारों ओर घने जंगल इसे और भी रहस्यमयी बनाते हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में मां दुर्गा साक्षात निवास करती हैं। भक्तों का विश्वास है कि जो भी सच्चे मन से मां के सामने अपनी मनोकामना रखता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। मंदिर का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा है, जिसमें कहा जाता है कि मां दुर्गा ने यहां भक्तों की पुकार सुनकर कई चमत्कार किए हैं।
यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि में इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन और विशेष पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़ते हैं। सोमवार और शुक्रवार को भी मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है, जिसमें भक्त दूर-दूर से शामिल होते हैं।
नवरात्रि में मेले का अनूठा रंग
नवरात्रि के दौरान थावे मंदिर परिसर में एक भव्य मेला लगता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। इस मेले में स्थानीय हस्तशिल्प, पारंपरिक व्यंजन और धार्मिक वस्तुओं की दुकानें सजती हैं। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस मेले में उत्साह के साथ हिस्सा लेते हैं। मंदिर के आसपास का माहौल भक्ति और उल्लास से सराबोर हो जाता है। रात-दिन चलने वाली भक्ति भजनों की स्वरलहरियां और मां के जयकारे वातावरण को और भी पवित्र बनाते हैं।
मेले के दौरान मंदिर की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए जाते हैं। स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवक भक्तों की सुविधा के लिए दिन-रात तैनात रहते हैं। मंदिर समिति भी भक्तों के लिए भोजन, पानी और विश्राम की व्यवस्था सुनिश्चित करती है।
भक्तों की आस्था और चमत्कारों की कहानियां
थावे मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था की कई कहानियां प्रचलित हैं। गोपालगंज के रहने वाले रामप्रसाद सिंह बताते हैं कि उनकी बेटी की शादी में आ रही अड़चनें मां के आशीर्वाद से दूर हो गईं। वहीं, नेपाल से आए एक भक्त रमेश ठाकुर का कहना है कि मंदिर में मां के दर्शन के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। ऐसी ही अनगिनत कहानियां भक्तों के बीच प्रचलित हैं, जो इस मंदिर की महिमा को और बढ़ाती हैं।
मंदिर के पुजारी पंडित श्याम सुंदर तिवारी के अनुसार, मां दुर्गा की कृपा से यहां आने वाला हर भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने का अनुभव करता है। वे कहते हैं, “सच्चे मन से मां के सामने जो भी मांगा जाता है, वह अवश्य पूरा होता है।”
मंदिर की विशेष पूजा और अनुष्ठान
थावे मंदिर में हर दिन सुबह और शाम को विशेष आरती होती है, जिसमें भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अलग-अलग दिनों में की जाती है। इस दौरान हवन, कन्या पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए जाते हैं। मंदिर में भक्तों के लिए विशेष प्रसाद की व्यवस्था भी की जाती है, जिसमें लड्डू और खिचड़ी का प्रसाद खास तौर पर बांटा जाता है।
कैसे पहुंचें थावे मंदिर
थावे मंदिर गोपालगंज जिले के थावे कस्बे में स्थित है। यह पटना से लगभग 150 किलोमीटर और सिवान से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से बस, टैक्सी या निजी वाहन का उपयोग किया जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन थावे जंक्शन है, जहां से मंदिर पैदल दूरी पर है। नेपाल और उत्तर प्रदेश से आने वाले भक्तों के लिए भी यह मंदिर आसानी से सुलभ है।
आस्था का जीवंत केंद्र
थावे दुर्गा मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों में हर वर्ग और समुदाय के लोग शामिल होते हैं। मंदिर का प्रबंधन और स्थानीय लोग मिलकर इसे स्वच्छ और व्यवस्थित रखने में योगदान देते हैं। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक सुकून प्रदान करता है।