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थावे में 18 करोड़ का इको पार्क: पर्यटन और पर्यावरण को नई ऊंचाई

लोकल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले के थावे मंदिर परिसर में एक अनोखा इको-टूरिज्म पार्क उभरने वाला है। 18 करोड़ रुपये की मोटी लागत से बनने वाले इस पार्क की आधारशिला पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने शनिवार को रख दी। यह कदम न सिर्फ पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ दिलाएगा, बल्कि स्थानीय पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूत करेगा। थावे का यह धार्मिक स्थल अब पर्यटन का नया केंद्र बनेगा, जो लाखों श्रद्धालुओं और घुमक्कड़ों को आकर्षित करेगा।

आधारशिला से नई शुरुआत: मंत्री की मौजूदगी में धूमधाम से शिलान्यास

शनिवार दोपहर थावे मंदिर परिसर में सजी-धजी सभा में मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने पार्क की आधारशिला रखी। सैकड़ों ग्रामीणों, स्थानीय नेताओं और पर्यावरण प्रेमियों की मौजूदगी में यह समारोह संपन्न हुआ। मंत्री ने कहा, "बिहार के धार्मिक स्थलों को इको-टूरिज्म से जोड़कर हम नई ऊर्जा दे रहे हैं। थावे का यह पार्क पर्यटन को बढ़ावा देगा और अर्थव्यवस्था को पंख लगाएगा।" शिलान्यास के साथ ही परियोजना की गति तेज करने का ऐलान भी किया गया। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, निर्माण कार्य अगले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगा, जिससे पार्क 2026 तक तैयार हो सकेगा। यह विकास बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, जो पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन को एक साथ जोड़ती है। थावे जैसे स्थलों का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यहां का प्राकृतिक वातावरण और धार्मिक महत्व इसे आदर्श बनाता है। पार्क बनने से न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

इको पार्क की चमकदार सुविधाएं: प्रकृति के बीच आधुनिक मनोरंजन

थावे इको पार्क पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग साबित होगा। जंगल क्षेत्र में बने वॉकिंग ट्रैक और वॉकवे पैदल यात्रियों को बांस की खूबसूरत संरचनाओं के बीच घूमने का मौका देंगे। ऊंचे वॉच टावर से दूर तक फैले हरे-भरे दृश्यों का नजारा लिया जा सकेगा, जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय और भी जादुई लगेगा। बच्चों के लिए अलग प्ले जोन मनोरंजन का केंद्र बनेगा, जहां झूले और खेलकूद की व्यवस्था होगी। इसके अलावा, कैफेटेरिया में स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकेगा। साइकिल शेड पर्यावरण-अनुकूल यात्रा को प्रोत्साहित करेगा, जबकि ओपन एम्फीथिएटर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंच बनेगा। शौचालय, बाउंड्री वॉल और बैठने की जगहें पार्क को पूर्ण सुविधा संपन्न बनाएंगी। ये सभी विशेषताएं पार्क को एक पारिवारिक पिकनिक स्पॉट के रूप में स्थापित करेंगी। विभागीय स्रोतों के अनुसार, डिजाइन में स्थानीय सामग्री का अधिकतम उपयोग होगा, जो पर्यावरण के अनुकूल रहेगा। पार्क का निर्माण 18 करोड़ की लागत से होगा, जिसमें हर पहलू पर ध्यान दिया गया है। जंगल क्षेत्र को संरक्षित रखते हुए आधुनिक सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, ताकि जैव विविधता बनी रहे। यह न केवल पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि पक्षियों और वन्यजीवों के लिए भी सुरक्षित आवास बनेगा। स्थानीय किसानों और कारीगरों को इसमें भागीदारी का मौका मिलेगा, जो उनकी आय बढ़ाने में सहायक होगा।

पर्यटन क्रांति का हिस्सा: अन्य स्थलों की तर्ज पर थावे का विकास

मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने शिलान्यास के दौरान बिहार के अन्य विकास कार्यों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि बक्सर में विश्वामित्र पार्क, माता मुंडेश्वरी मंदिर और गुप्त धाम जैसे स्थलों पर भी इको-टूरिज्म परियोजनाएं तेजी से चल रही हैं। थावे का यह पार्क इनकी कड़ी बनेगा, जो बिहार को पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करेगा। "धार्मिक स्थलों को हरा-भरा पर्यटन केंद्र बनाना हमारा लक्ष्य है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा," उन्होंने जोर देकर कहा। बिहार सरकार की व्यापक योजना के तहत 2028 तक राज्य में वन क्षेत्र को 17 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है। थावे इको पार्क इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। यह परियोजना नदी-नालों के किनारे वृक्षारोपण को भी बढ़ावा देगी, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायक होगी। स्थानीय लोग पहले से ही उत्साहित हैं, क्योंकि इससे उनकी जमीनों और परंपराओं का सम्मान होगा।

स्थानीय प्रभाव: रोजगार और संस्कृति का नया संगम

थावे के ग्रामीणों के लिए यह पार्क वरदान साबित होगा। निर्माण के दौरान सैकड़ों मजदूरों को काम मिलेगा, जबकि पार्क चालू होने पर गाइड, दुकानदार और अन्य सेवाओं से रोजगार बढ़ेगा। धार्मिक उत्सवों के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आएंगे, जो स्थानीय बाजार को चहल-पहल से भर देगा। पर्यावरण विभाग ने वादा किया है कि पार्क में स्थानीय कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विशेष कोने बनेंगे। महिलाओं और युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम भी जोड़े जाएंगे, ताकि वे पर्यटन से जुड़ सकें। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह पार्क हमारे गांव को नई पहचान देगा। पहले तो सिर्फ मंदिर आते थे लोग, अब पूरा परिवार घूमने आएगा।" ऐसी प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि परियोजना जमीनी स्तर पर स्वागत योग्य है।

भविष्य की झलक: सतत विकास का प्रतीक

थावे इको पार्क बिहार के पर्यटन को नई दिशा देगा। यह न केवल आर्थिक लाभ लाएगा, बल्कि पर्यावरण जागरूकता भी फैलाएगा। सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन जैसी तकनीकों से पार्क आत्मनिर्भर बनेगा। आने वाले वर्षों में यह स्थल राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो सकता है, जो बिहार की हरित छवि को मजबूत करेगा। पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नियमित निगरानी से पार्क की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। स्थानीय समितियां इसमें भाग लेंगी, ताकि सुझावों का समावेश हो। यह परियोजना बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों को वैश्विक पर्यटन से जोड़ेगी।