स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
महुआ (बिहार): बिहार की राजनीति में गुरुवार का दिन खास रहा जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल के प्रमुख तेजप्रताप यादव ने महुआ विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया। लेकिन इस बार उनके नामांकन की चर्चा किसी राजनीतिक बयान या रैली से ज्यादा एक भावनात्मक कारण से हो रही है; तेजप्रताप अपनी दादी मरछिया देवी की तस्वीर अपने साथ लेकर नामांकन करने पहुंचे।
दादी की तस्वीर बनी आस्था और प्रेरणा का प्रतीक
नामांकन के दौरान तेजप्रताप यादव के हाथों में उनकी दादी मरछिया देवी की तस्वीर थी। उन्होंने कहा कि उनकी दादी ही उनकी “गुरु” हैं और वही उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। तेजप्रताप ने कहा,
“हमारे माता-पिता और दादी सब हमारे साथ हैं। हमारी दादी सर्वोच्च हैं और हमारी गुरु भी हैं। जब हमारे पास माता-पिता और दादी मां का आशीर्वाद होता है तो कोई चुनौती बड़ी नहीं होती।”
उन्होंने बताया कि उनकी दादी मरछिया देवी ने हमेशा उन्हें जनता की सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। इस बार वे उनके आशीर्वाद से चुनाव मैदान में उतरे हैं और जनता की सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं।
नामांकन से पहले रोड शो, समर्थकों में भारी उत्साह
नामांकन से पहले तेजप्रताप यादव ने महुआ में भव्य रोड शो किया। खुली गाड़ी में बैठकर तेजप्रताप ने अपने समर्थकों का अभिवादन स्वीकार किया। इस दौरान वे लगातार अपनी दादी की तस्वीर हाथ में थामे रहे। रोड शो में सैकड़ों की संख्या में उनके समर्थक झंडे और बैनर लेकर शामिल हुए। जगह-जगह लोगों ने फूल बरसाकर उनका स्वागत किया।
तेजप्रताप के साथ उनके वृंदावन से आए गुरु भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वे नामांकन के लिए अपने गुरु और दादी मां का आशीर्वाद लेकर निकले हैं।
“महुआ की जनता मुझे पुकार रही है, इसलिए मैं वहां जा रहा हूं। जब गुरु, माता-पिता और दादी मां का आशीर्वाद साथ हो तो आगे कोई मुश्किल नहीं रहती।”
महुआ से फिर चुनावी जंग में तेजप्रताप
तेजप्रताप यादव ने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में महुआ सीट से जीत दर्ज की थी। अब एक बार फिर वे इसी सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस सीट से मुकेश रोशन को प्रत्याशी बनाया है, जबकि एनडीए की ओर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने संजय सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं जदयू की नेत्री डॉ. आसमा परवीन ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है।
इस बार तेजप्रताप अपने जनशक्ति जनता दल (जे.जे.डी.) के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि राजनीति में उनका मकसद सत्ता नहीं, बल्कि सेवा है।
“महुआ हमारा परिवार है। पिछली बार जनता ने मुझ पर विश्वास जताया, तो मैंने यहां मेडिकल कॉलेज की सौगात दी थी। इस बार जीतने पर इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का वादा करता हूं।”
भावनात्मक जुड़ाव और नया राजनीतिक संदेश
तेजप्रताप यादव का यह नामांकन उनके राजनीतिक सफर में एक अलग ही रंग लेकर आया है। जहां पिछली बार वे अपने माता-पिता लालू यादव और राबड़ी देवी के साथ नामांकन करने गए थे, वहीं इस बार वे अकेले, लेकिन अपनी दादी की तस्वीर के साथ पहुंचे। उन्होंने कहा कि भले ही उनके माता-पिता स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन उनका आशीर्वाद हमेशा उनके साथ है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजप्रताप यादव का यह कदम एक भावनात्मक संदेश भी देता है — वे जनता से अपने पारिवारिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को जोड़ना चाहते हैं। उनकी दादी मरछिया देवी हमेशा लालू परिवार की नैतिक शक्ति मानी गई हैं, और तेजप्रताप का यह कदम उसी परंपरा को आगे बढ़ाने जैसा है।
जनता से वादा – “महुआ का विकास मेरी जिम्मेदारी”
नामांकन के बाद तेजप्रताप यादव ने कहा कि महुआ की जनता के विकास के लिए वे हमेशा तत्पर रहेंगे।
“यह चुनाव मेरे लिए सिर्फ राजनीति नहीं, सेवा का मौका है। मैं सदन में महुआ की जनता की हर समस्या मजबूती से उठाऊंगा।”
तेजप्रताप यादव का यह नामांकन न सिर्फ भावनात्मक रूप से जुड़ा रहा, बल्कि बिहार की राजनीति में एक अनोखी छाप भी छोड़ गया — जहां एक नेता अपने चुनावी अभियान की शुरुआत अपने दादी के आशीर्वाद और परंपरा के सम्मान से करता है।







