मुस्कान कुमारी, हेल्थ डेस्क
दिल्ली-एनसीआर में सांसें थम सी गई हैं। हवा का स्तर इतना जहरीला हो चुका है कि कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300-400 के पार पहुंच गया है। यह गंभीर श्रेणी का प्रदूषण फेफड़ों, दिल और दिमाग को सीधा निशाना बना रहा है। डॉक्टरों की चेतावनी है कि बिना मास्क के सड़क पर निकलना मौत को दावत देना है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के पल्मोनोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. पंकज छाबड़ा ने बताया कि कपड़े या सर्जिकल मास्क बेकार हैं, जबकि N95 और N99 ही असली ढाल हैं। लेकिन पहनने का तरीका गलत हुआ तो सब व्यर्थ। आइए जानें, इस जहर से कैसे पाएं राहत।
प्रदूषण का कहर: सांसें हो रही छोटी
शहर की सड़कों पर धुंध का पर्दा और हवा में घुला जहर—यह नजारा रोज का हो गया है। दिल्ली-एनसीआर के ज्यादातर इलाकों में AQI 'गंभीर' स्तर पर पहुंच चुका है। पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण हवा में तैर रहे हैं, जो सीधे फेफड़ों में उतरकर सूजन पैदा कर देते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि इससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी और आंखों में जलन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। लंबे समय में यह कैंसर, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रदूषण पूरे शरीर को प्रभावित कर रहा है। फेफड़ों के अलावा दिल की धड़कन अनियमित हो रही है, क्योंकि जहरीले कण रक्त वाहिकाओं को सख्त बनाते हैं। दिमाग पर भी असर पड़ रहा है—सिरदर्द, चक्कर और एकाग्रता में कमी जैसी शिकायतें बढ़ रही हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए तो यह और भी खतरनाक है। डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि संभव हो तो कुछ दिनों के लिए शहर छोड़ दें, क्योंकि घर के अंदर भी हवा खराब हो रही है।
मास्क का चयन: गलत चुनाव मत करो, जान पर बन आएगी
प्रदूषण से बचाव का सबसे आसान हथियार मास्क लगता है, लेकिन डॉक्टर चेताते हैं—हर मास्क काम नहीं आता। मार्केट में उपलब्ध कपड़े के मास्क, सर्जिकल मास्क या फैशनेबल मास्क धूल तो रोक लें, लेकिन पीएम 2.5 जैसे बारीक कणों को नहीं पकड़ पाते। डॉ. पंकज छाबड़ा कहते हैं, "ये मास्क झूठी सुरक्षा का भ्रम पैदा करते हैं। हानिकारक गैसें और सूक्ष्म कण आसानी से अंदर घुस जाते हैं, जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है।"
N95-N99 की ताकत: 99% जहर रोकेगी यह ढाल
अब सवाल यह कि कौन-सा मास्क चुनें? डॉ. छाबड़ा की सलाह साफ है—N95 और N99 मास्क ही सबसे बेहतर हैं। ये मास्क 95 से 99 प्रतिशत तक सूक्ष्म कणों को फिल्टर कर देते हैं। इनकी खासियत है टाइट फिटिंग, जो नाक और मुंह को पूरी तरह सील कर देती है। दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में बाहर निकलते वक्त इन्हें पहनना जरूरी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये मास्क न सिर्फ कणों को रोकते हैं, बल्कि बैक्टीरिया और वायरस से भी बचाव करते हैं। डॉ. छाबड़ा ने जोर देकर कहा, "प्रदूषण के इस उच्च स्तर पर N95 या N99 मास्क पहनें। ये रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूती से बचाते हैं। सस्ते विकल्पों से बचें, क्योंकि वे जानलेवा साबित हो सकते हैं।" मार्केट में ये मास्क आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन असली ब्रांडेड चुनें ताकि फिटिंग सही रहे।
पहनने का सही तरीका: ढीला हुआ तो बेकार, टाइट फिट ही जीतेगा जंग
मास्क चुन लिया, लेकिन पहनना भूल गए तो सारी मेहनत बेकार। डॉ. छाबड़ा ने स्टेप बाय स्टेप तरीका बताया। सबसे पहले हाथ धोएं। फिर मास्क को नाक और मुंह पर पूरी तरह कवर करें—कोई गैप न छोड़ें। नोज वायर को चेहरे पर दबाकर एडजस्ट करें ताकि हवा लीक न हो। कान या सिर पर स्ट्रैप्स को टाइट करें। इस्तेमाल के दौरान मास्क को बार-बार न छुएं, वरना बैक्टीरिया फैल सकते हैं। अगर फिटिंग ढीली लगे तो तुरंत बदलें। डॉक्टर कहते हैं, "सही फिटिंग से ही मास्क अपना काम करता है। गलत तरीके से पहनने पर जहरीली हवा सीधे फेफड़ों तक पहुंच जाती है।" खासकर दाढ़ी वालों को ध्यान रखना चाहिए—मूंछ या दाढ़ी से गैप न बने।
बदलने का समय: पुराना मास्क मत रखो, नया लाओ ताकि सांसें साफ रहें
मास्क को हमेशा इस्तेमाल न करें। डॉ. छाबड़ा की सलाह है कि N95 या N99 को 3-5 दिनों तक यूज करें, लेकिन अगर गंदा, नम या सांस लेने में दिक्कत हो तो फेंक दें। रियूजेबल मास्क में फिल्टर हर हफ्ते बदलें। प्रदूषण के स्तर पर निर्भर करता है—ज्यादा खराब हवा में जल्दी बदलें। इससे न सिर्फ सुरक्षा बनी रहती है, बल्कि संक्रमण का खतरा भी कम होता है।
अतिरिक्त बचाव: मास्क के साथ ये उपाय अपनाओ, जहर से लड़ो मजबूती से
मास्क अकेला काफी नहीं। डॉक्टर सुझाते हैं कि घर में एयर प्यूरीफायर चलाएं, खिड़कियां बंद रखें। बाहर कम निकलें, सुबह-शाम की सैर टालें। गर्भवती महिलाएं तो बिल्कुल सावधान रहें—प्रदूषण से बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। फ्लू सीजन में वैक्सीन लें और स्वच्छ आहार लें। पटाखों से दूर रहें, क्योंकि वे प्रदूषण को और बढ़ा देते हैं। कुल मिलाकर, व्यक्तिगत सतर्कता ही दिल्ली की इस जंग में हथियार है। डॉ. छाबड़ा ने आखिर में कहा, "प्रदूषण से लड़ाई लंबी है, लेकिन सही कदम से हम जीत सकते हैं। मास्क को अपना साथी बनाएं, लेकिन बाकी उपायों को न भूलें।" शहरवासी अब जाग रहे हैं, लेकिन समय रहते कदम उठाना जरूरी है।







