स्पेशल रिपोर्ट, मुस्कान कुमारी |
नई दिल्ली: रोशनी और उमंग का महापर्व दीपावली इस वर्ष 20 अक्टूबर, 2025 को पूरे भारत में आस्था और परंपरा के साथ मनाया जाएगा। उत्तर में भगवान राम के अयोध्या आगमन के उल्लास से लेकर पूर्व में मां काली की शक्ति-साधना तक, यह त्योहार भारत की सांस्कृतिक विविधता का सबसे बड़ा प्रतीक है। इस विशेष रिपोर्ट में हम जानेंगे लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त, पांचों दिनों का महत्व और देश के अलग-अलग कोनों में मनने वाले इस उत्सव के अनूठे रंग। करोड़ों घरों में दीप जलेंगे, बाजार चमकेंगे और अर्थव्यवस्था में हजारों करोड़ का कारोबार होगा। क्या आप तैयार हैं इस महापर्व की चमक में डूबने के लिए?
एक दिन नहीं, पांच दिनों का महापर्व
दीपावली सिर्फ एक रात की रोशनी नहीं, बल्कि पांच दिनों का भव्य उत्सव है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है, जो स्वास्थ्य, समृद्धि, विजय और रिश्तों की मजबूती का संदेश देता है।
- धनतेरस (18 अक्टूबर): इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है, जो आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं। लोग सोना, चांदी, बर्तन और वाहन खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। बाजारों में खरीदारी का उन्माद चरम पर होता है, और स्वास्थ्य के लिए यम दीपदान किया जाता है।
- नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली (19 अक्टूबर): भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध इस दिन हुआ था। लोग सुबह अभ्यंग स्नान (तेल से स्नान) करते हैं, जो स्वास्थ्य और पापों से मुक्ति का प्रतीक है। शाम को दीप जलाए जाते हैं, और कुछ क्षेत्रों में पटाखे फोड़े जाते हैं।
- दीपावली (20 अक्टूबर): मुख्य दिन, जब मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है। घरों में रंगोली सजती है, दीये जलते हैं और पटाखों से आसमान गूंजता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है।
- गोवर्धन पूजा (22 अक्टूबर): भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति में मनाई जाती है। अन्नकूट का भोग लगाया जाता है, जो प्रकृति और पशुधन के सम्मान का प्रतीक है। उत्तर भारत में यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
- भाई दूज (23 अक्टूबर):
भाई-बहन के प्रेम का पर्व, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। बहनें भाइयों की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं, और भाई उपहार देते हैं। यह रिश्तों की मजबूती का संदेश देता है। यह पांच दिवसीय उत्सव भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करता है, जहां हर दिन नई ऊर्जा और खुशियां लेकर आता है।
लक्ष्मी पूजन का देशव्यापी शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों के अनुसार, स्थानीय सूर्योदय और सूर्यास्त के कारण मुहूर्त में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है। 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3:44 बजे शुरू होगी और 21 अक्टूबर को शाम 5:50 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल और वृषभ लग्न में पूजन सबसे फलदायी है। यहां देश के प्रमुख शहरों के लिए लक्ष्मी पूजन का अनुमानित शुभ समय दिया गया है:
शहर - प्रदोष काल पूजन मुहूर्त (शाम) | वृषभ लग्न (स्थिर लग्न) | नीचे लिखे हुए को ऊपर के निर्देश से समझे
- दिल्ली - 7:08 PM - 8:18 PM | 7:08 PM - 9:03 PM |
- मुंबई - 7:45 PM - 7:55 PM | 7:35 PM - 9:30 PM |
- जयपुर - 7:30 PM - 7:42 PM | 7:18 PM - 9:15 PM |
- कोलकाता - 6:50 PM - 7:05 PM | 6:35 PM - 8:30 PM |
- चेन्नई - 7:15 PM - 7:28 PM | 7:00 PM - 8:55 PM |
- बेंगलुरु - 7:30 PM - 7:43 PM | 7:15 PM - 9:10 PM |
यह समय द्रिक पंचांग पर आधारित है। गृहस्थों के लिए शाम 7:30 से 7:43 बजे तक का समय सर्वोत्तम है। किसानों के लिए शाम 5:50 से 8:24 बजे, व्यापारियों के लिए दोपहर 3:45 से 3:51 और शाम 4:15 से 5:42 बजे, जबकि छात्रों के लिए रात 7:19 से 9:16 बजे तक पूजन शुभ रहेगा।
एक भारत, अनेक रंग: दीपावली की क्षेत्रीय परंपराएं
दीपावली एक है, लेकिन इसका जश्न देश के हर कोने में अलग रंग दिखाता है, जो भारत की विविधता को जीवंत बनाता है। पूर्वी भारत में बंगाल, ओडिशा और असम में मां काली की पूजा का विशेष महत्व है। यहां शक्ति की उपासना होती है, और काली पूजा के साथ दीप जलाए जाते हैं। दक्षिण भारत में यह नरक चतुर्दशी पर मुख्य रूप से मनाई जाती है, जहां लोग सुबह तेल स्नान करते हैं, जो गंगा स्नान के बराबर पवित्र माना जाता है। पश्चिमी भारत में गुजरात में दीपावली के अगले दिन 'बेस्तु बरस' यानी गुजराती नव वर्ष मनाया जाता है, जहां नए खाते खोले जाते हैं। सिख समुदाय के लिए यह 'बंदी छोड़ दिवस' है, जब गुरु हरगोबिंद जी ग्वालियर किले से रिहा हुए थे। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में दीपावली की रौनक देखते ही बनती है। जैन समुदाय इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाता है, जहां दीपों से ज्ञान का प्रतीक बनाया जाता है। यह विविधता भारत को एक सूत्र में बांधती है।
त्योहार का आर्थिक और सामाजिक पहलू
दीपावली सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था का बड़ा इंजन है। इस मौसम में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और मिठाई उद्योग में हजारों करोड़ का कारोबार होता है। अनुमान है कि 2025 में त्योहारी बिक्री 2 लाख करोड़ रुपए को पार कर सकती है। पीएम मोदी की 'वोकल फॉर लोकल' अपील ने स्वदेशी दीयों, मिठाइयों और हस्तशिल्प की मांग बढ़ा दी है। ई-कॉमर्स साइट्स पर 'दिवाली सेल' से डिजिटल गिफ्टिंग का ट्रेंड जोरों पर है, जबकि पारंपरिक बाजारों में रौनक अलग है। सामाजिक रूप से यह एकता का पर्व है, जहां परिवार मिलते हैं। पर्यावरण की चिंता में ग्रीन क्रैकर्स, लेजर शो और इको-फ्रेंडली उत्सव के ट्रेंड्स बढ़ रहे हैं। कई शहरों में कम्युनिटी सेलिब्रेशन से प्रदूषण कम करने की कोशिश हो रही है।
पौराणिक कथाओं का संक्षिप्त सार
दीपावली की जड़ें पौराणिक कथाओं में हैं। भगवान राम के 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर दीप जलाए गए। समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ, इसलिए लक्ष्मी पूजन। भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर महिलाओं को मुक्त किया, जो छोटी दीपावली का आधार है।
पूजा की तैयारी: क्या करें, क्या न करें
पूजन से पहले घर की साफ-सफाई जरूरी है। लक्ष्मी पूजन के लिए स्वच्छ वातावरण, तुलसी के पत्ते, फूल और मिठाई का भोग तैयार करें। पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और मंत्रों का उच्चारण करें। आतिशबाजी के दौरान सावधानी बरतें और पर्यावरण का ध्यान रखें।
देशभर के प्रमुख मंदिरों में दीपोत्सव
अयोध्या में राम मंदिर की पहली दीपावली लाखों दीयों से जगमगाएगी। स्वर्ण मंदिर में सिख परंपरा के साथ रोशनी होगी। महाकाल मंदिर में शिव-शक्ति का संगम और गोविंददेवजी में कृष्ण भक्ति की झलक दिखेगी।
लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मंत्र: पूजन को प्रभावशाली बनाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें:
- लक्ष्मी मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः (108 बार)।
- गणेश मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः (11 बार)।
- कुबेर मंत्र: ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा (21 बार)।







