स्पेशल रिपोर्ट, आर्या कुमारी |
दीवाली–छठ में "स्काय लैंप" और "हॉट बैलून" का चलन; रोशनी की खुशी या खतरे की चिंगारी?
दीवाली और छठ पूजा का मौसम आते ही आसमान रंगीन रोशनी से जगमगाने लगता है। लोग अपने घरों को दीपक और बिजली की लड़ियों से सजाते हैं, और अब एक नया चलन तेजी से बढ़ा है “स्काय लैंप” या “हॉट बैलून” छोड़ने का। रात के अंधेरे में उड़ते ये चमकते लैंप सच में अद्भुत दिखते हैं, लेकिन क्या ये खूबसूरती सुरक्षित भी है? कई बार यही मोहक दृश्य बड़े हादसों की वजह बन जाता है। आइए जानते हैं कि कैसे एक छोटी-सी लापरवाही त्योहार की खुशी को ज़िंदगीभर के ग़म में बदल सकती है।
स्काय लैंप या हॉट बैलून; क्या है ये आकर्षक लेकिन खतरनाक चीज़?
स्काय लैंप (Sky Lantern) एक हल्का पेपर या कपड़े का गुब्बारा होता है, जिसके नीचे एक खुली लौ (flame) या ईंधन सेल लगाया जाता है। लौ की गर्मी से हवा हल्की होती है और लैंप आकाश में उड़ने लगता है। त्योहारों में लोग इसे "रोशनी की उड़ान" समझकर जलाते हैं, लेकिन सच यह है कि यह उड़ान नियंत्रण से बाहर होती है। यह कहाँ गिरेगा, कोई नहीं जानता, और यही बन जाता है सबसे बड़ा खतरा।
त्योहारों में स्काय लैंप को कैसे देखा जाता है
दीवाली और छठ पूजा जैसे त्योहारों के दौरान लोग स्काय लैंप को खुशियों, उम्मीद और शुभता का प्रतीक मानते हैं। आसमान में उड़ता हुआ रोशनी से जगमगाता लैंप, मानो उनके सपनों और इच्छाओं को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा हो — यही सोच इसे खास बनाती है। कई श्रद्धालु इसे इस विश्वास से उड़ाते हैं कि यह उनके दुआओं और आशीर्वादों को ऊपर तक पहुँचा देता है, इसलिए इसे शुभ माना जाता है। युवाओं के बीच यह अब एक आकर्षक “सोशल मीडिया ट्रेंड” बन चुका है — जहाँ लोग तस्वीरों और वीडियो के जरिए त्योहार की चमक साझा करते हैं। मगर इस खूबसूरत दृश्य के पीछे छिपा खतरा अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है — क्योंकि यही जलती लौ कभी-कभी विनाश का कारण भी बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि रोशनी का यह उत्सव सिर्फ सुंदरता नहीं, बल्कि सुरक्षा और जिम्मेदारी की भावना के साथ भी मनाया जाए।
स्काय लैंप; परंपरा से ज़्यादा अब एक ट्रेंड
पिछले कुछ वर्षों में स्काय लैंप सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक प्रतीक नहीं रहा, बल्कि एक फैशन और ट्रेंड का हिस्सा बन गया है। युवाओं के बीच इसे त्योहारों की शाम को “इंस्टाग्राम-मोमेंट” बनाने का तरीका समझा जाने लगा है। आसमान में उड़ते चमकते लैंपों के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर दीवाली और छठ की पहचान बन चुकी हैं। लोग मानो प्रतिस्पर्धा करते हैं कि कौन ज्यादा खूबसूरत लैंप उड़ाएगा या किसका वीडियो ज्यादा “वायरल” होगा। परंतु इस आकर्षण के बीच कई लोग यह भूल जाते हैं कि यह दिखने में सुंदर ट्रेंड, कभी-कभी खतरनाक परिणाम भी ला सकता है — क्योंकि एक जलता हुआ स्काय लैंप हवा के साथ दिशा बदलते ही किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। त्योहारों की असली भावना सिर्फ दिखावे में नहीं, बल्कि सुरक्षा, संतुलन और संवेदनशीलता के साथ उत्सव मनाने में है।
क्यों बनता है स्काय लैंप हादसों की वजह?
1. आग लगने का खतरा
भारत के कई हिस्सों में दीवाली और छठ के समय स्काय लैंप से आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
जरा सोचिए — उड़ता हुआ एक जलता लैंप अगर किसी पेड़, छत, सूखे पत्तों या गैस पाइपलाइन पर गिर जाए तो क्या हो सकता है?
मुंबई फायर ब्रिगेड ने चेतावनी दी थी कि 2015 में मलाड की 36-मंजिला इमारत में लगी आग का कारण एक उड़ता हुआ स्काय लैंप था। यही वजह है कि कई शहरों ने इस पर पाबंदी लगा दी है।
2. विमान और हवाई सुरक्षा के लिए खतरा
स्काय लैंप 1000 फीट से भी अधिक ऊंचाई तक जा सकते हैं। हवाई अड्डों के आसपास छोड़े गए लैंप विमान संचालन के लिए खतरा बन जाते हैं।
धातु फ्रेम वाला लैंप अगर इंजन में खिंच जाए तो भारी दुर्घटना हो सकती है। इसी कारण कोलकाता पुलिस और DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने कई बार इन पर रोक लगाने की सलाह दी है।
3. पर्यावरण और पशु-पक्षियों पर असर
जो लैंप आसमान में उड़ते हैं, वे आखिरकार कहीं न कहीं गिरते हैं। उनके तार, धातु फ्रेम और कागज़ का मलबा खुले खेतों और जलस्रोतों में पहुंचकर पशुओं और पक्षियों के लिए घातक बन जाता है।
कई जानवर इन्हें चबाकर बीमार पड़ जाते हैं। ये “बायोडिग्रेडेबल” कहकर बेचे जाते हैं, पर असल में इनमें धातु और प्लास्टिक के अंश होते हैं जो लंबे समय तक नष्ट नहीं होते।
4. कानून भी मना करता है
मुंबई, कोलकाता, पटना, जयपुर, दिल्ली समेत कई शहरों में प्रशासन ने स्काय लैंप छोड़ने पर अस्थायी या स्थायी प्रतिबंध लगाया है।
दीवाली 2024 के दौरान मुंबई पुलिस ने एक महीने का पूर्ण प्रतिबंध जारी किया था — कारण था आग और उड़ान सुरक्षा पर बढ़ता खतरा।
छठ और दीवाली; आस्था के पर्व में सावधानी क्यों ज़रूरी है
दीवाली और छठ सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि श्रद्धा, पवित्रता और प्रकाश के प्रतीक हैं। छठ पूजा में जहां सूर्योदय और सूर्यास्त के समय जल में दीप प्रज्ज्वलित किए जाते हैं, वहीं कुछ लोग आसमान में रोशनी भेजने के लिए स्काय लैंप का उपयोग करने लगे हैं। लेकिन छठ का असली संदेश प्रकृति, जल और जीवन के प्रति सम्मान है — न कि आग और धुएं से प्रदूषण फैलाना। दीवाली के समय भी जब हर तरफ दीये और रोशनी होती है, तब एक अनियंत्रित स्काय लैंप पूरे मोहल्ले के लिए खतरा बन सकता है। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में, जहां छठ के दौरान लाखों श्रद्धालु नदी किनारे पूजा करते हैं, वहाँ एक जलता हुआ स्काय लैंप गिर जाना भारी दुर्घटना का रूप ले सकता है।
सावधान कैसे रहें
त्योहारों के दौरान दीवाली और छठ पूजा जैसे अवसरों पर स्काय लैंप या हॉट बैलून छोड़ने से पहले यह ज़रूरी है कि आप पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ें। सबसे पहले यह जांचें कि आपके क्षेत्र में इन्हें उड़ाने की अनुमति है या नहीं — कई शहरों और राज्यों में इन पर प्रतिबंध लगाया गया है। उदाहरण के लिए, मुंबई पुलिस ने त्योहारों के समय स्काय लैंप की बिक्री, भंडारण एवं उपयोग पर 30 दिन का प्रतिबंध लगाया था। फिर, लैंप छोड़ने के लिए ऐसी जगह चुनें जहाँ आसपास इमारतें, छतें, पेड़, तार या बिजली की लाइनें न हों और हवा शांत हो। लैंप की गुणवत्ता और उड़ान के बाद उसकी लैंडिंग की संभावना को भी जांचें — क्योंकि एक जलता हुआ लैंप जब अनियंत्रित होकर कहीं गिर जाता है, तो वह आग या हादसे का कारण बन सकता है।
इसके साथ ही, आग बुझाने के साधन जैसे बाल्टी में पानी या फायर एक्सटिंग्विशर पास रखना न भूलें।
प्रामाणिक डेटा-संदर्भ
देश में अग्नि-दुर्घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि शादी, त्योहार और उत्सवों के दौरान आग लगने का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। National Crime Records Bureau (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारत में आग दुर्घटनाओं की संख्या 8,491 थी, जिनमें 8,348 लोगों की मृत्यु या गंभीर चोटें दर्ज की गई थीं। इसके अलावा, कोलकाता में स्काय लैंप से जुड़ी आग की घटनाओं को देखते हुए पुलिस ने 2024 में चेतावनी जारी की थी कि ऐसे किसी भी लैंप उड़ाने पर कानूनी कार्रवाई, जुर्माना और दो महीने तक की जेल का प्रावधान है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि केवल ‘जश्न’ के मूड में किया गया कोई भी असावधान कदम एक बड़ी दुर्घटना की शुरुआत बन सकता है — इसलिए सावधानी में कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
छोटी-सी लापरवाही बन सकती है ज़िंदगीभर का ग़म
त्योहार का एक पल जो खुशी देने के लिए मनाया जाता है, वही एक लापरवाही से हादसे की वजह बन सकता है। एक उड़ता हुआ स्काय लैंप कुछ ही सेकंड में किसी परिवार की पूरी ज़िंदगी को अंधेरे में धकेल सकता है। सोचिए, आपकी एक गलती किसी के घर को आग में झोंक दे, किसी बच्चे की मुस्कान छीन ले — क्या वह त्योहार मनाने लायक खुशी रह जाएगी? दीवाली और छठ जैसे पर्व हमें सिखाते हैं कि प्रकाश फैलाना अच्छा है, लेकिन जिम्मेदारी के साथ। इसलिए इस बार जब आप दीप जलाएं या आकाश में लाइट भेजें — सुरक्षा को अपना पहला संकल्प बनाएं, क्योंकि छोटी-सी लापरवाही सच में ज़िंदगीभर का ग़म बन सकती है।







