Ad Image
Ad Image
टाइफून मातमो तूफान को लेकर चीन में ऑरेंज अलर्ट, सेना तैयार || हमास बंधकों को करेगा रिहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने गाजा पर बमबारी रोकने को कहा || पहलगाम हमले के बाद पता चला कौन भारत का असली मित्र: मोहन भागवत || भारत के साथ व्यापार असंतुलन कम करने का अपने अधिकारियों को पुतिन का आदेश || मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम की इजरायल से अपील, हिरासत में लिए मेक्सिको के नागरिकों को जल्दी रिहा करें || शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र का मिर्जापुर में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि || स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं: मोहन भागवत || अमित शाह ने कहा, देश अगले 31 मार्च तक नक्सलवादी लाल आतंक से मुक्त होगा || भारतीय क्रिकेट टीम ने जीता एशिया कप, PM समेत पूरे देश ने दी बधाई || तमिलनाडु: एक्टर विजय की रैली में भगदड़, 31 की मौत, 40 से ज्यादा घायल

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

नेपाल में फेसबुक-एक्स-यूट्यूब बैन, विपक्ष बोला: अभिव्यक्ति पर हमला

विदेश डेस्क, वेरोनिका राय |

नेपाल में फेसबुक, एक्स और यूट्यूब बैन: सरकार बोली- नियमों का पालन नहीं करने पर उठाया कदम, विपक्ष ने कहा अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला

काठमांडू: नेपाल सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए देश में फेसबुक, एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब समेत लगभग दो दर्जन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया है। सरकार का कहना है कि इन कंपनियों को कई बार आधिकारिक तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए नोटिस भेजे गए थे, लेकिन उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया।

नेपाल के संचार एवं सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने गुरुवार को जानकारी दी कि जिन कंपनियों ने अब तक सरकार के साथ पंजीकरण नहीं कराया है, उन्हें तुरंत बंद किया जा रहा है। हालांकि, टिकटॉक, वाइबर और तीन अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नेपाल में चलने की अनुमति दी गई है, क्योंकि उन्होंने सरकार के नियमों का पालन करते हुए पंजीकरण करा लिया है।

नेपाल सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगातार आपत्तिजनक, झूठी और भ्रामक सूचनाएं फैल रही हैं। कई बार यह देश की शांति और सामाजिक सौहार्द के लिए चुनौती साबित होती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि इन कंपनियों की जिम्मेदारी तय हो और उनके पास नेपाल में एक लायज़न ऑफिस या प्रतिनिधि कार्यालय हो, ताकि किसी भी शिकायत या विवाद की स्थिति में सीधा संपर्क किया जा सके।

इसके लिए सरकार ने हाल ही में संसद में एक नया बिल भी पेश किया है। इस बिल का मकसद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अधिक जवाबदेह और नियंत्रित बनाना बताया जा रहा है। हालांकि, इस कदम ने नेपाल के भीतर ही बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार सोशल मीडिया पर नियंत्रण के बहाने लोगों की आवाज़ दबाना चाहती है। उनका कहना है कि संसद में पेश किया गया बिल वास्तव में एक सेंसरशिप टूल है, जिसके जरिए सरकार उन लोगों को चुप कराने की कोशिश कर सकती है जो सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ बोलते हैं या विरोध प्रदर्शित करते हैं।

आलोचकों का यह भी कहना है कि यह कदम सीधे तौर पर नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। वहीं, नेपाल सरकार का कहना है कि यह कदम किसी की स्वतंत्रता छीनने के लिए नहीं है बल्कि सोशल मीडिया को जिम्मेदार और पारदर्शी बनाने के लिए है। अधिकारियों ने कहा कि देश में कानून का पालन हर कंपनी को करना होगा, चाहे वह घरेलू हो या विदेशी। सरकार का दावा है कि नए नियमों के बाद सोशल मीडिया पर अफवाहें, नफरत फैलाने वाली सामग्री और फर्जी खबरों पर रोक लगेगी। साथ ही उपयोगकर्ताओं और ऑपरेटर्स दोनों की जवाबदेही तय होगी।

फिलहाल संसद में पेश किया गया बिल अभी पूरी तरह से पास नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में इस पर बहस होगी और उसके बाद यह कानून का रूप लेगा। लेकिन, तब तक नेपाल के नागरिकों को फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स से दूर रहना होगा।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नेपाल सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच बातचीत से कोई समाधान निकलता है या यह प्रतिबंध लंबे समय तक लागू रहेगा।