
विदेशडेस्क,श्रेयांश पराशर l
नेपाल में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच 15 हजार कैदी फरार
नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। बीते दो दिनों से भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है और इसी अराजक माहौल का फायदा उठाते हुए देशभर की विभिन्न जेलों से लगभग 15,000 कैदी फरार हो गए। यह घटना न केवल नेपाल के इतिहास की बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सबसे बड़ी जेलब्रेक घटनाओं में गिनी जा रही है।
गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, इससे पहले 1979 में ईरान की क्रांति के दौरान जेल तोड़कर लगभग 11,000 कैदी भागे थे। नेपाल की यह घटना उससे भी आगे निकल गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि नेपाल में चल रहे प्रदर्शनों ने प्रशासन और सुरक्षा तंत्र की नींव को हिला दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता को लेकर जनता का आक्रोश लंबे समय से simmer कर रहा था, जो अब विस्फोटक रूप में सामने आया है। वहीं जेलों से कैदियों के पलायन ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। सरकार के सामने दोहरी चुनौती है—एक ओर आंदोलन को शांत करना, दूसरी ओर फरार कैदियों की तलाश और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
नेपाल की स्थिति क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी चिंता का विषय है। इतने बड़े पैमाने पर कैदियों का फरार होना सीमा पार अपराध, आतंकवाद और तस्करी जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक ढिलाई का परिणाम है। यदि सरकार ने शीघ्र और ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संकट देश को और गहरे संकट की ओर धकेल सकता है।