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पंजाब में बनी 11 दवाओं के सैंपल फेल: सरकार ने लगाया बैन

स्टेट डेस्क, वेरॉनिका राय |

नई दिल्ली/चंडीगढ़: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की सितंबर 2025 की रिपोर्ट ने देशभर में हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में बनी 11 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर फेल पाई गई हैं। इन दवाओं का निर्माण मोहाली, जालंधर और गुरदासपुर जिलों की विभिन्न फार्मा कंपनियों ने किया था। रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दवाओं के प्रयोग पर रोक लगाते हुए सभी मेडिकल स्टोर और अस्पतालों को स्टॉक वापस जमा कराने के निर्देश जारी किए हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

सीडीएससीओ की ताज़ा रिपोर्ट में देशभर से 112 दवाओं के सैंपल असफल पाए गए हैं। इनमें से 52 दवाएं केंद्रीय लैब में और 60 दवाएं राज्यों के स्तर पर फेल हुई हैं। इनमें पंजाब की 11 दवाएं भी शामिल हैं, जो प्रमुख रूप से पेट, संक्रमण, एलर्जी, खांसी-जुकाम और उच्च रक्तचाप के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं। सरकार ने इन दवाओं को तुरंत बाजार से हटाने और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।

पंजाब में बनीं ये 11 दवाएं फेल हुईं:

1. एजेन-20 (Rabeprazole Tablets IP) – मोहाली
   ➤ उपयोग: पेट की एसिडिटी में राहत।
   ➤ रिजेक्शन कारण: एसिड और बफर स्टेज टेस्ट में गुणवत्ता फेल।

2. पैंजोल-40 (Pantoprazole Gastro Resistant Tablets IP 40 mg) – मोहाली
   ➤ उपयोग: एसिडिटी और अल्सर के इलाज में।
   ➤ रिजेक्शन कारण: डिसोल्यूशन (घुलने) के परीक्षण में विफल।

3. रैक्सोफेन (Ibuprofen + Paracetamol Tablets) – मोहाली
   ➤ उपयोग: दर्द और बुखार के इलाज में।
   ➤ रिजेक्शन कारण: पैरासिटामोल और इबुप्रोफेन के घुलने में गड़बड़ी।

4. पोडोरम (Cefpodoxime Tablets IP 200 mg) – गुरदासपुर
   ➤ उपयोग: बैक्टीरियल संक्रमण में।
   ➤ रिजेक्शन कारण: डिसोल्यूशन और मात्रा परीक्षण में कमी।

5. साइप्रोहेप्टाडीन (Tablets IP 4 mg) – गुरदासपुर
   ➤ उपयोग: एलर्जी और अस्थमा में राहत के लिए।
   ➤ रिजेक्शन कारण: सक्रिय तत्व की मात्रा असमान।

6. लोपरामाइड हाइड्रोक्लोराइड कैप्सूल्स IP 2 mg – गुरदासपुर
   ➤ उपयोग: डायरिया (दस्त) के इलाज में।
   ➤ रिजेक्शन कारण: बफर स्टेज में मानक के अनुरूप नहीं।

7. पैंजोल (Pantoprazole Sodium Tablets IP) – गुरदासपुर
   ➤ उपयोग: पेट की गैस और एसिडिटी में।
   ➤ रिजेक्शन कारण: डिसोल्यूशन परीक्षण में फेल।

8. एमलोकेयर-एटी (Amlodipine + Atenolol Tablets IP) – गुरदासपुर
   ➤ उपयोग: उच्च रक्तचाप के इलाज में।
   ➤ रिजेक्शन कारण: दोनों तत्वों की मात्रा में कमी।

9. अमोक्सिसिलिन और पोटैशियम क्लावुलानेट टैबलेट्स – मोहाली
   ➤ उपयोग: बैक्टीरियल संक्रमण में।
   ➤ रिजेक्शन कारण: एस्से और डिसोल्यूशन टेस्ट में विफल।

10. फेकोपोड (Cefpodoxime Proxetil Tablets 200 mg) – डेराबस्सी
    ➤ उपयोग: संक्रमण के इलाज में।
    ➤ रिजेक्शन कारण: घुलने (डिसोल्यूशन) के टेस्ट में फेल।

11. पैरासिटामोल, फेनिलफ्रीन और क्लोरफेनिरामाइन सस्पेंशन – जालंधर
    ➤ उपयोग: जुकाम, खांसी और एलर्जी के इलाज में।
    ➤ रिजेक्शन कारण: एस्से टेस्ट में गुणवत्ता की खामी।

 12 दिन पहले 8 और दवाओं पर लगी थी रोक

यह पहली बार नहीं है जब पंजाब में बनी दवाएं सवालों के घेरे में आई हैं। सिर्फ 12 दिन पहले, पंजाब सरकार ने 8 अन्य दवाओं के उपयोग पर भी रोक लगाई थी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय ने संबंधित बैचों को बाजार से हटाने और उनके इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने के आदेश जारी किए थे।

अब आगे क्या कदम उठाए गए?

पंजाब सरकार ने अब सभी फार्मा कंपनियों को नोटिस जारी किया है। उनसे पूछा गया है कि गुणवत्ता जांच में असफल दवाएं बाजार में कैसे पहुंचीं। स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर कंपनियां जवाब नहीं देतीं तो उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं। साथ ही, मेडिकल स्टोर्स और अस्पतालों को स्टॉक तुरंत वापस करने के आदेश दिए गए हैं ताकि मरीजों की जान को किसी भी तरह का खतरा न हो।

लोगों के लिए चेतावनी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि मरीज अपने घरों में रखी दवाओं के ब्रांड नाम और बैच नंबर की जांच करें। अगर इनमें से कोई दवा मिलती है, तो उसे तुरंत इस्तेमाल करना बंद करें और नजदीकी मेडिकल स्टोर या डॉक्टर को दिखाएं।

यह मामला देश में दवाओं की गुणवत्ता और निगरानी पर गंभीर सवाल उठाता है। लगातार दवाओं के फेल होने से यह साफ है कि उत्पादन स्तर पर निगरानी और परीक्षण की प्रक्रिया में सुधार की सख्त जरूरत है। सरकार ने भले ही कार्रवाई शुरू कर दी हो, लेकिन जब तक गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र मजबूत नहीं होगा, तब तक मरीजों की सुरक्षा पर खतरा बना रहेगा।