नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार।
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने व्यभिचार (Adultery) यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़े एक मामले पर ऐसी टिप्पणी की थी, जिससे देश में वैवाहिक विवादों के कानून को लेकर बहस छिड़ गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने कहा था, “अगर किसी तीसरे व्यक्ति के कारण शादी टूटती है या पत्नी को उसके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो पत्नी उससे सिविल कोर्ट में हर्जाना (damages) मांग सकती है।”
न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने यह टिप्पणी एक महिला की उस याचिका पर की थी, जिसने अपने पति पर किसी अन्य महिला से संबंध होने का आरोप लगाते हुए उसकी प्रेमिका से 4 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की थी। इसके बाद से देशभर में यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के मामलों में पीड़ित पत्नी अपने पति की प्रेमिका या कोई पति अपनी पत्नी के प्रेमी से हर्जाना मांग सकता है?
क्या है पूरा मामला, जिससे उठा यह सवाल?
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने जिस याचिका पर टिप्पणी की है, वह एक पत्नी की अपने पति की प्रेमिका के खिलाफ दर्ज शिकायत से जुड़ी है।
याचिका दायर करने वाली महिला ने आरोप लगाया-
“साल 2012 में मेरी शादी हुई। 2018 में जुड़वा बच्चे हुए। पति व्यवसाय करते हैं। मेरी शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही थी, लेकिन 2021 में पति के बिजनेस में एक अन्य महिला शामिल हुई। यह महिला उसके साथ यात्राओं पर जाती थी और दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं। 2023 में मैंने पति और उसकी प्रेमिका की अंतरंग बातें सुनीं और पति के लैपटॉप से इस रिश्ते के सबूत मिले। पति के परिवार के हस्तक्षेप के बावजूद रिश्ता जारी रहा। पति सार्वजनिक जगहों पर प्रेमिका के साथ नजर आने लगा और बाद में तलाक की अर्जी दे दी।”
इस घटना के बाद महिला ने पति और उसकी प्रेमिका के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। पत्नी का कहना है कि उस महिला ने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उसकी शादी को तोड़ा, जिससे उसे मानसिक और भावनात्मक क्षति हुई। इसलिए उसने अदालत में ‘एलीनेशन ऑफ अफेक्शन’ के तहत हर्जाने की मांग की।
हाईकोर्ट ने यह याचिका स्वीकार कर ली है और पति व उसकी प्रेमिका को नोटिस जारी किया है।
“शादीशुदा जिंदगी में जानबूझकर दखल किया गया है या नहीं, यह पूरी तरह सबूतों पर निर्भर करेगा। भारतीय कानून के अनुसार, अगर किसी भी तरह से किसी के अधिकारों का हनन होता है तो पीड़ित को न्याय मिलना चाहिए।” (योगेन्द्र कुमार वर्मा, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट)
पति और उसकी प्रेमिका की दलीलें
पति ने कोर्ट में कहा कि वह एक स्वतंत्र व्यक्ति है और अपने निजी फैसले खुद लेने का अधिकार रखता है। हर वयस्क को यह स्वतंत्रता है कि वह किससे रिश्ता रखे या दोस्ती करे, जब तक कि वह कानूनन अपराध न हो।
पति की कथित प्रेमिका ने कहा कि उसका उस शादी से कोई संबंध नहीं है, इसलिए पत्नी के प्रति उसकी कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं बनती। दोनों ने यह भी कहा कि अगर कोई विवाद है तो उसकी सुनवाई फैमिली कोर्ट में होनी चाहिए, न कि हाईकोर्ट में। साथ ही, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने न केवल याचिका को स्वीकार किया, बल्कि पति और उसकी कथित प्रेमिका दोनों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर किसी तीसरे व्यक्ति के कारण शादी टूटती है तो पत्नी सिविल कोर्ट में हर्जाना मांग सकती है। हालांकि व्यभिचार अब अपराध नहीं है, लेकिन इसके कारण हुए नुकसान के लिए हर्जाना मांगा जा सकता है। यह मामला पूरी तरह सिविल कानून से जुड़ा है, इसलिए इसे फैमिली कोर्ट में नहीं, बल्कि सिविल कोर्ट में सुना जाएगा।
जस्टिस कौरव ने कहा कि यह मामला ‘एलीनेशन ऑफ अफेक्शन’ (Alienation of Affection) सिद्धांत को लागू करने की दिशा में पहला उदाहरण बन सकता है। यह सिद्धांत कहता है कि शादी में प्रेम और विश्वास को जानबूझकर तोड़ने वाले व्यक्ति को कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। एंग्लो-अमेरिकन कॉमन लॉ से लिए गए इस सिद्धांत को भारत में सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो फैसलों में स्वीकार किया है। न्यायमूर्ति कौरव ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला को अपने लगाए गए आरोप साबित करने होंगे।
“पत्नी ने आरोप लगाया है कि उसके पति का किसी और से संबंध है और उसी वजह से उसका घर टूट गया। ऐसे में वह सिविल कोर्ट में हर्जाने की मांग कर सकती है, लेकिन अभी ऐसा कोई ठोस कानून नहीं है जिसके आधार पर सजा दी जा सके। यह मामला नया है और अदालतें इस पर विचार कर रही हैं। यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता और वैवाहिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन की नई रेखा तय कर सकता है।” (मनीष भदौरिया, एडवोकेट, कड़कड़डूमा कोर्ट)
अब आगे क्या?
अब इस मामले में सुनवाई होगी, जिसके बाद हाईकोर्ट तय करेगा कि क्या पति की प्रेमिका ने जानबूझकर गलत आचरण कर महिला की शादी तोड़ी है। यदि यह साबित हो जाता है, तो यह भारत का पहला ऐसा मामला होगा जिसमें अदालत किसी विवाहेतर संबंध में शामिल तीसरे व्यक्ति को हर्जाना देने का आदेश दे सकती है।







