
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन ने स्पष्ट कर दिया है कि अब परमाणु निरस्त्रीकरण की अवधारणा उनके देश के लिए अप्रासंगिक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यह विचार अब अपना अर्थ खो चुका है और उनका देश अपने परमाणु हथियारों को कभी नहीं छोड़ेगा। हालांकि, किम ने यह भी संकेत दिया कि यदि अमेरिका परमाणु निरस्त्रीकरण के मोह से बाहर आकर ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व’ पर चर्चा के लिए तैयार होता है, तो उत्तर कोरिया संवाद के लिए तैयार रहेगा।
संयुक्त पीपुल्स असेंबली में संबोधन
उत्तर कोरिया की संवाद समिति केसीएनए के अनुसार, किम जोंग उन ने यह टिप्पणी चौदहवीं सुप्रीम पीपुल्स असेंबली के तेरहवें सत्र के दौरान दी। यह सत्र 20 और 21 सितंबर को प्योंगयांग के मानसुदे असेंबली हॉल में आयोजित हुआ। अपने संबोधन में किम ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई मुलाकातों को याद किया और उन्हें “अच्छी यादें” करार दिया। उन्होंने कहा कि साल 2018-19 में ट्रंप के साथ उनकी तीन मुलाकातें हुई थीं, जिनमें प्रतिबंधों में राहत के बदले परमाणु निरस्त्रीकरण के कदमों पर चर्चा हुई थी। हालांकि, इन वार्ताओं से कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया।
अमेरिका और किम की मुलाकातें
किम ने अपने भाषण में यह भी कहा कि ट्रंप ने उस समय उत्तर कोरिया के साथ बेहद मैत्रीपूर्ण संबंधों पर ज़ोर दिया था। लेकिन मौजूदा हालात में अमेरिका और उत्तर कोरिया के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ किसी भी बैठक की संभावना को खारिज कर दिया। किम के मुताबिक, अमेरिका अब भी उत्तर कोरिया पर दबाव की नीति अपना रहा है, जबकि उनका देश सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परमाणु हथियारों से समझौता नहीं करेगा।
दक्षिण कोरिया से रिश्तों पर सख्त रुख
किम जोंग उन ने अपने संबोधन में दक्षिण कोरिया को लेकर भी बेहद सख्त बयान दिया। उन्होंने दोहराया कि उत्तर कोरिया अब कभी भी दक्षिण कोरिया के साथ पुनर्मिलन की कोशिश नहीं करेगा। किम के मुताबिक, दक्षिण कोरिया पूरी तरह से अमेरिका के अधीन एक ‘औपनिवेशिक देश’ बन चुका है। इस कारण, उनके लिए दक्षिण कोरिया के साथ कोई वार्ता या मेल-मिलाप संभव नहीं है।
आर्थिक दिशा और वैश्विक घटनाओं पर रुख
अपने संबोधन में किम ने देश की आर्थिक दिशा पर भी जोर दिया। उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने की अपील की और कहा कि उत्तर कोरिया को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। इसके साथ ही, किम ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख करते हुए रूस का समर्थन जताया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव और अमेरिका की नीतियों के खिलाफ रूस का संघर्ष उचित है।
किम जोंग उन के इस बयान से साफ है कि उत्तर कोरिया अब परमाणु निरस्त्रीकरण पर किसी भी चर्चा को महत्व देने के लिए तैयार नहीं है। इसके बजाय, वह परमाणु हथियारों को अपनी सुरक्षा और अस्तित्व का सबसे बड़ा आधार मानता है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया के साथ उसके रिश्ते और अधिक जटिल होते दिख रहे हैं। ऐसे में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव और असुरक्षा की स्थिति और गहरी हो सकती है।