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पूर्वी चंपारण: 95 प्रत्याशियों की धड़कनें तेज

लोकल डेस्क, एन. के. सिंह।

रिकॉर्ड मतदान ने बढ़ाया सस्पेंस वर्ष 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार मत प्रतिशत में हुई भारी वृद्धि ने चुनावी गणित को और भी जटिल बना दिया है।

पूर्वी चंपारण: जिले के 12 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को मतदान संपन्न होने के बाद अब सभी 95 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद है। 14 नवंबर को होने वाली मतगणना से पहले सभी उम्मीदवारों की धड़कनें तेज हैं, और हार-जीत का आकलन जोरों पर है। इस बार जिले में 70.90% का रिकॉर्ड मतदान हुआ है, जिसने चुनावी रणनीतिकारों को भी सकते में डाल दिया है। इधर मतगणना को लेकर जिला प्रशासन ने कड़ी तैयारी की हैं, जहां मतगणना में परिंदे भी पर नहीं मार सकते, 8:00 बजे से मत करना शुरू होगी और हर 2 घंटे पर रुझान आने लगेंगे।

 विधानसभा वार प्रत्याशियों की संख्या:

पूर्वी चंपारण की 12 सीटों पर कुल 95 उम्मीदवार मैदान में हैं:

  • विधानसभा क्षेत्र प्रत्याशियों की संख्या कल्याणपुर 11,पीपरा 11,केसरिया 10, ढाका 10,गोविंदगंज8, मधुबन 8,नरकटिया 6 हरसिद्धि 6,मोतिहारी 6 चिरैया  6  रक्सौल 5 सुगौली 5

रिकॉर्ड मतदान ने बढ़ाया सस्पेंस

वर्ष 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार मत प्रतिशत में हुई भारी वृद्धि ने चुनावी गणित को और भी जटिल बना दिया है।

  • रणनीतिकारों के माथे पर पसीना: चुनावी जानकारों का कहना है कि वोट प्रतिशत बढ़ने से किस उम्मीदवार को लाभ होगा और किसे नुकसान, इसका आकलन करना बेहद मुश्किल हो गया है।
  • कांटे की टक्कर: कई विधानसभा क्षेत्रों में कांटे की टक्कर की बात कही जा रही है, जबकि कुछ में सीधी लड़ाई का आकलन किया जा रहा है।
  • 2020 का परिदृश्य: वर्ष 2020 के चुनाव में एनडीए का कब्जा 9 सीटों पर था, लेकिन इस बार का रिकॉर्ड मतदान नतीजों को अप्रत्याशित बना सकता है।

बूथ स्तर पर वोटों का आकलन
मतगणना से पहले हर पार्टी के दफ्तरों और उम्मीदवारों के कार्यालयों में चुनावी गणित सुलझाने की कवायद तेज है।

  •  वोट गणना: बूथवार पोलिंग एजेंटों से मतदाताओं की संख्या और कुल पोलिंग डेटा मंगाकर प्रत्याशियों के संभावित वोट शेयर का मोटा-मोटी आकलन किया जा रहा है।
  • जीत हार के फैक्टर: पार्टी के आधार पर मिले वोट, जातीय गोलबंदी, साथ ही आधी आबादी (महिला) और युवा वर्गों के मतदान के प्रभाव पर विशेष नजर रखी जा रही है।
  • मतदाताओं की खामोशी: हालांकि, मतदाता मतगणना तक चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे चुनावी हवा का रूख भांपना और भी कठिन हो गया है।

परिणाम की घोषणा 14 नवंबर को
सभी प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की बेचैनी 14 नवंबर को खत्म होगी, जब विधानसभा चुनाव की मतगणना होगी और यह साफ हो जाएगा कि जीत का ताज किसके सिर सजेगा। चौक-चौराहों से लेकर गांव-देहात तक हर कोई अभी से ही जीत-हार की गुणा-भाग में जुटा हुआ है।