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पेरिस: क्यों कहा जाता है इसे 'लाइट्स का शहर'?

ट्रैवल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

नई दिल्ली। पेरिस, फ्रांस की राजधानी, को 'सिटी ऑफ लाइट्स' के नाम से जाना जाता है। यह उपनाम 18वीं शताब्दी से चला आ रहा है, जब पेरिस ज्ञान, संस्कृति और कला का वैश्विक केंद्र बना। यहां गैस स्ट्रीट लाइटिंग की शुरुआत हुई, जो यूरोप में पहली थी। आज भी एफिल टावर की चमकती रोशनी रात को शहर को जादुई बना देती है।

ज्ञान का प्रतीक बना पेरिस

18वीं शताब्दी में प्रबोधन काल के दौरान पेरिस बुद्धिजीवियों, कलाकारों और विचारकों का गढ़ बन गया। यहां वॉल्टेयर, रूसो और डिडरो जैसे दार्शनिकों ने वजह, विज्ञान और स्वतंत्र विचारों को बढ़ावा दिया। 'लाइट्स' शब्द यहां ज्ञान और शिक्षा के प्रसार का प्रतीक बन गया। शहर ने यूरोप को बौद्धिक रूप से रोशन किया, जिससे इसका नाम 'सिटी ऑफ लाइट्स' पड़ा।

गैस लैंप ने बदली रात की तस्वीर

1820 के दशक तक पेरिस में 50,000 से ज्यादा गैस लैंप लग चुके थे। इससे सड़कें सुरक्षित और जीवंत हो गईं। किंग लुई XIV के शासन में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट ने शहर को रात में चमकदार बना दिया। आज आधुनिक एलईडी लाइट्स से स्मारक चमकते हैं, जो पेरिस की पहचान बन चुकी हैं।

पेरिस रात में दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। एफिल टावर हर घंटे 20,000 सुनहरी लाइट्स से चमकता है। आर्क डी ट्रायंफ, नोट्रे-डेम कैथेड्रल और शां-एलीजे रात को रोमांटिक नजारा पेश करते हैं। लाखों पर्यटक यहां की चमक देखने आते हैं, जो इसे 'सिटी ऑफ लव' भी बनाती है।

कला और संस्कृति का केंद्र

पेरिस सिर्फ रोशनी का शहर नहीं, बल्कि कला का गढ़ भी है। लुव्र म्यूजियम, मुजे डी'ओर्से और सेंटर पोम्पीडू जैसे संस्थान दुनिया भर में मशहूर हैं। यहां फैशन, साहित्य और सिनेमा की चमक भी है। शहर की सांस्कृतिक विरासत इसे वैश्विक मंच पर चमकाती है।

पेरिस के रोचक तथ्य

1. यूरोप का पहला शहर जहां स्ट्रीट लाइटिंग शुरू हुई: 17वीं शताब्दी में किंग लुई XIV ने हजारों लालटेन लगवाईं। 1820 तक गैस लैंप ने शहर को आधुनिक बनाया।

2. एफिल टावर की चमक: रात में 20,000 बल्बों से चमकता है, हर घंटे पांच मिनट तक स्पार्कल करता है। 1889 के वर्ल्ड फेयर के लिए बना, आज दुनिया का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला स्मारक।

3. 290 से ज्यादा रोशन स्मारक: लुव्र, आर्क डी ट्रायंफ और नोट्रे-डेम सहित, रात में फोटोग्राफरों का स्वर्ग।

4. प्रबोधन काल का दिल: वॉल्टेयर और रूसो जैसे विचारकों ने यहां रहकर यूरोप को बौद्धिक रूप से रोशन किया।

पेरिस समझौता और आधुनिक महत्व

पेरिस जलवायु परिवर्तन के लिए भी जाना जाता है। 2015 का पेरिस समझौता (COP 21) दुनिया भर में चर्चित रहा। हाल ही में 2025 के पेरिस एआई समिट में पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण ने शहर की वैश्विक भूमिका को फिर से उजागर किया। 2024 के पेरिस ओलंपिक की क्लोजिंग सेरेमनी ने भी शहर की चमक को दुनिया के सामने रखा।

पेरिस की रोशनी आज भी प्रगति का प्रतीक है। यहां की सड़कें, स्मारक और संस्कृति मिलकर इसे अनोखा बनाते हैं। पर्यटक यहां की रातों को कभी नहीं भूलते।

भारत से जुड़ाव

भारत में भी प्रबोधन की भूमि के रूप में बिहार को जाना जाता है, लेकिन पेरिस की तरह वैश्विक स्तर पर चमकने वाला शहर कम ही है। पेरिस की कहानी हमें प्रगति और ज्ञान की अहमियत सिखाती है।