
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। सोमवार को संसद में विश्वास मत हारने के बाद प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिर गई। यह एक वर्ष में चौथी बार है जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति करनी पड़ेगी। बायरू की सरकार देश के बढ़ते कर्ज को नियंत्रित करने के लिए बजट में कटौती का प्रस्ताव लेकर आई थी, लेकिन संसद में उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया।
प्रधानमंत्री बायरू ने संसद में कहा कि फ्रांस का राष्ट्रीय कर्ज अब सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 114 प्रतिशत तक पहुँच गया है। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही, लेकिन विपक्ष और कई सांसदों ने उनके प्रस्तावों का विरोध किया। विश्वास मत में उन्हें केवल 194 वोट मिले, जबकि 364 सांसदों ने विरोध में मतदान किया। इससे स्पष्ट हो गया कि संसद में बायरू की सरकार का समर्थन समाप्त हो गया है।
बायरू ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि वे संविधान के अनुसार राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। दिसंबर 2024 में बायरू को मैक्रों ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। लेकिन एक साल के भीतर यह चौथी बार है जब प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है। इससे फ्रांस की राजनीतिक स्थिति अस्थिर मानी जा रही है और आर्थिक सुधारों पर भी संकट के बादल छा गए हैं।
विपक्षी नेता मरीन ले पेन ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए संसद भंग कर नए चुनाव कराने की माँग की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार देश की समस्याओं से निपटने में विफल रही है।
राष्ट्रपति मैक्रों ने हार के बाद कहा कि वे कुछ ही दिनों में नए प्रधानमंत्री का ऐलान करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि वे राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए किसी अनुभवी नेता को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करेंगे।
फ्रांस की जनता आर्थिक संकट, बढ़ते कर्ज और बार-बार बदलती सरकारों से परेशान है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में मैक्रों के लिए राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती होगी। नई नियुक्ति से जनता को राहत और विश्वास दिलाने की कोशिश की जाएगी।