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बिहारी निकले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप: क्या है सच?

नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |

समस्तीपुर में बना डोनाल्ड ट्रंप का निवास प्रमाण पत्र: फर्जी दस्तावेज से निवास प्रमाण पत्र के प्रयास पर FIR, प्रशासन ने दिखाई सख्ती....

बिहार के समस्तीपुर ज़िले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां "डोनाल्ड जॉन ट्रंप" नाम से निवास प्रमाण पत्र के लिए एक फर्जी ऑनलाइन आवेदन किया गया। आवेदनकर्ता ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम और फोटो इस्तेमाल कर यह दर्शाने की कोशिश की कि वे बिहार के मोहिउद्दीननगर प्रखंड, पटोरिया अनुमंडल के निवासी हैं।

यह फर्जी आवेदन 29 जुलाई, 2025 को समस्तीपुर के सीएससी पोर्टल पर दाखिल किया गया था। आवेदन में पिता का नाम “फ्रेडरिक क्राइस्ट ट्रंप” लिखा गया था, और एक जाली आधार कार्ड भी संलग्न किया गया था। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति की तस्वीर का उपयोग किया गया था।

हालांकि, स्थानीय प्रशासन और राजस्व अधिकारियों ने सतर्कता दिखाते हुए इस फर्जीवाड़े को समय रहते पकड़ लिया। जिला प्रशासन ने 4 अगस्त को आवेदन को रद्द कर दिया और 6 अगस्त को समस्तीपुर साइबर थाने में विधिवत प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई।

प्रशासन ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318 (4) और 336 (4) के तहत (दस्तावेजों में जालसाजी और धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66(C) और 66(D) के तहत (इलेक्ट्रॉनिक पहचान की चोरी और ऑनलाइन धोखाधड़ी) मामला दर्ज किया है।

समस्तीपुर जिला प्रशासन ने एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा, “यह केवल एक मज़ाक नहीं, बल्कि सरकारी प्रक्रिया के साथ की गई गंभीर छेड़छाड़ है। ऐसे मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार की हरकत केवल आवेदन रद्द करने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि दोषियों पर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जाएगा।

बयान में यह भी कहा गया कि सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाने या मज़ाक के उद्देश्य से किया गया कोई भी कार्य, यदि सरकारी प्रक्रिया से जुड़ा हो, तो उसे गंभीर अपराध माना जाएगा।

यह पहला मामला नहीं है जब बिहार में फर्जी नाम से आवेदन किया गया हो। हाल ही में पटना और नवादा में "कुत्ता बाबू" और "कुत्ते बाबू" नाम से, जबकि पूर्वी चंपारण में भोजपुरी अभिनेता की तस्वीर के साथ "सोनालिका ट्रैक्टर" नाम से आवेदन जमा किए गए थे। इन सभी मामलों में प्रशासन ने फर्जीवाड़े को उजागर कर कानूनी प्रक्रिया अपनाई।

प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी सरकारी सेवा या प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते समय केवल वास्तविक और प्रमाणिक जानकारी और दस्तावेज़ों का ही उपयोग करें। जानबूझकर गलत जानकारी देना केवल आवेदन अस्वीकृति का कारण नहीं बनेगा, बल्कि आपराधिक दंड का भी विषय बन सकता है।

यह घटना यह दर्शाती है कि बिहार की डिजिटल प्रशासनिक प्रणाली अब केवल आधुनिक नहीं, बल्कि सतर्क, संवेदनशील और जवाबदेह भी है। यह घटना प्रशासनिक सतर्कता, महिला अधिकारियों की जागरूक भूमिका और तकनीकी दक्षता का सशक्त उदाहरण है।