
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
बिहार विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने 36 सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर शुरू किया मंथन, 24 सितंबर के बाद होगी पहली सूची जारी
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। पार्टी अब धीरे-धीरे प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। शुक्रवार को दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में लगभग तीन दर्जन यानी 36 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर गहन मंथन किया गया।
बैठक में कौन-कौन थे शामिल
इस बैठक की अध्यक्षता स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने की। उनके साथ बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद समेत स्क्रीनिंग कमेटी के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। बैठक में प्रत्याशियों की सूची को लेकर लंबी चर्चा चली।
उम्मीदवारों की स्क्रूटनी और मापदंड
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बैठक से पहले स्क्रीनिंग कमेटी ने राज्य इकाई से प्राप्त ऑनलाइन आवेदनों की गहन जांच (स्क्रूटनी) की। इसमें उम्मीदवारों के संगठन और समाज में योगदान, उनके क्षेत्र में पकड़, स्थानीय स्तर पर सक्रियता और जनता से जुड़ाव जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया। पार्टी ने तय मापदंडों के आधार पर प्रत्येक सीट के लिए तीन से पांच संभावित नामों का पैनल तैयार किया।
अब इन पैनलों को पार्टी हाईकमान को भेजा जाएगा, जहां अंतिम फैसला लिया जाएगा। इससे साफ है कि कांग्रेस इस बार उम्मीदवारों के चयन में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती और पूरी रणनीति बनाकर ही मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
24 सितंबर के बाद जारी होगी सूची
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि 24 सितंबर को पटना में होने वाली कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक के बाद ही उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित की जाएगी। उम्मीद है कि इसी दिन हाईकमान पैनल में से चयनित नामों की घोषणा कर देगा।
सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में जिन सीटों पर उम्मीदवार तय किए जा रहे हैं, वहां इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि राजद (राष्ट्रीय जनता दल) या महागठबंधन के अन्य सहयोगी दलों को आपत्ति न हो। इसका मतलब यह है कि कांग्रेस सीट बंटवारे और उम्मीदवारों के नाम को लेकर गठबंधन धर्म निभाना चाहती है।
2020 का प्रदर्शन और 2025 की रणनीति
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से 19 सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी। वहीं, 13 सीटें ऐसी थीं जहां कांग्रेस प्रत्याशी 10 हजार से भी कम वोटों के अंतर से हार गए थे। इसका साफ मतलब है कि यदि रणनीति और उम्मीदवारों के चयन में थोड़ी और सावधानी बरती जाती तो कांग्रेस का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता था।
इसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस इस बार चयन प्रक्रिया को और भी मजबूत और पारदर्शी बनाने पर जोर दे रही है। पार्टी की कोशिश है कि जहां-जहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत है, वहां ऐसे उम्मीदवार उतारे जाएं जो जनता से सीधा जुड़ाव रखते हों और संगठन को मजबूती दे सकें।
गठबंधन की मजबूती पर फोकस
कांग्रेस इस बार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि महागठबंधन के भीतर कोई मतभेद पैदा न हो। सीटों पर उम्मीदवारों के चयन में इसीलिए आरजेडी और अन्य सहयोगियों के हितों का ख्याल रखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम गठबंधन की एकजुटता को बनाए रखने में मदद करेगा।
24 सितंबर की कांग्रेस कार्य समिति की बैठक न सिर्फ पार्टी के लिए बल्कि पूरे महागठबंधन के लिए अहम साबित होगी। इस बैठक के बाद उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने से चुनावी तैयारी को गति मिलेगी। कांग्रेस का प्रयास रहेगा कि सही उम्मीदवारों को मौका देकर न सिर्फ सीटें बढ़ाई जाएं, बल्कि गठबंधन की जीत में भी मजबूत योगदान दिया जा सके।
कुल मिलाकर, बिहार कांग्रेस इस बार पूरी रणनीति, गणित और संगठनात्मक ताकत के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। अब देखना यह होगा कि हाईकमान किन नामों को हरी झंडी देता है और कांग्रेस 2025 के विधानसभा चुनाव में 2020 से बेहतर प्रदर्शन कर पाती है या नहीं।