स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार।
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई बड़े नेताओं के परिजनों ने चुनावी मुकाबले की मजबूत दीवारें तोड़ते हुए पहली बार सत्ता की दहलीज पर कदम रखा, वहीं कुछ के सपने अधूरे रह गये।
इस चुनाव में कई वरिष्ठ नेताओं ने अपनी राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने के लिए संततियों को मैदान में उतारा। कई ऐसे उम्मीदवार थे जिनके माता-पिता या रिश्तेदार लंबे समय से बिहार की राजनीति में प्रभावशाली रहे हैं। इन रिश्तेदारों में कुछ ने अपने परिवार की राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सियासी जमीन पर अपनी अलग पहचान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया और विजयी रहे, जबकि कुछ को निराशा का सामना करना पड़ा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह के पुत्र त्रिविक्रम सिंह ने औरंगाबाद से जीत दर्ज की। गौराबौराम से निवर्तमान विधायक श्रवर्णा सिंह के पति एवं पूर्व आईआरएस अधिकारी सुजीत कुमार सिंह ने भी पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया। पूर्व विधायक राजीव रंजन सिंह के पुत्र राहुल रंजन इस्लामपुर से विजयी हुए। पूर्व मंत्री अशोक राम के पुत्र अतिरेक कुमार ने कुशेश्वरस्थान (सुरक्षित) सीट से, पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पुत्र अभिषेक आनंद ने चेरियाबरियारपुर से और पूर्व मंत्री दिनेश कुशवाहा के पुत्र अजय कुमार ने मीनापुर से जीत हासिल करके पहली बार विधानसभा की दहलीज पार की।
इसके अतिरिक्त, सकरा (सुरक्षित) से निवर्तमान विधायक अशोक कुमार चौधरी के पुत्र आदित्य कुमार, वारिसनगर से अशोक कुमार के पुत्र मांजरीक मृणाल, दिवंगत प्रो. आर.पी. शर्मा के पुत्र कुमार पुष्पंजय (बरबीघा), दिवंगत कांग्रेस नेता सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश (कहलगांव), पूर्व विधायक दिलीप वर्मा के पुत्र समृद्ध वर्मा (सिकटा), दिवंगत सांसद ब्रह्मानंद मंडल के पुत्र नचिकेता मंडल (जमालपुर), पूर्व सांसद अरुण कुमार के पुत्र ऋतुराज कुमार (घोसी), हम के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार के भतीजे रोमित कुमार (अतरी), बिहार सरकार में मंत्री संतोष सिंह के भाई आलोक कुमार सिंह (दिनारा) और पूर्व सांसद मोहम्मद शाहबुद्दीन के पुत्र ओसामा शाहाब (रघुनाथपुर) भी इस बार चुनाव जीतकर पहली बार सत्ता का हिस्सा बने।
महिला उम्मीदवारों में भी कई राजनीतिक परिवारों से जुड़े नाम पहली बार विजयी रहे। इनमें पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद (औराई), सांसद वीणा देवी और विधान पार्षद दिनेश सिंह की पुत्री कोमल सिंह (गायघाट), रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेह लता (सासाराम) और पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पौत्री करिश्मा राय (परसा) शामिल हैं।
हालाँकि, सभी राजनीतिक परिवारों के दावेदारों का भाग्य साथ नहीं दे सका। लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष चिराग पासवान के भांजे सीमांत मृणाल गरखा (सुरक्षित) से हार गये। रालोजपा प्रमुख एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के पुत्र यशराज पासवान अलौली से जीत नहीं सके। पूर्व सांसद छेदी पासवान के पुत्र रवि शंकर पासवान मोहनिया (सुरक्षित) से पराजित हुए। पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा के पौत्र नवनीत झा भी शिवहर से जीत नहीं पाए।
इसी प्रकार बक्सर से पूर्व मंत्री के.के. तिवारी के पुत्र तथागत हर्षवर्धन, धौरैया (सुरक्षित) से पूर्व विधायक स्व. नरेश दास के पुत्र त्रिभुवन दास, करहगर से पूर्व मंत्री रामधनी सिंह के पुत्र उदय प्रताप सिंह, चैनपुर से पूर्व सांसद स्व. लालमुनि चौबे के पुत्र हेमंत चौबे, कहलगांव से झारखंड सरकार के मंत्री संजय यादव के पुत्र रजनीश भारती, संदेश से किरण देवी और पूर्व विधायक अरुण यादव के पुत्र दीपू सिंह भी चुनाव हार गये।
पूर्व मुख्यमंत्रियों के कई परिजन भी मैदान में उतरे, लेकिन जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। मोरवा से कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर, चेरियबरियारपुर से पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील कुमार, और नरकटियागंज से पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पुत्र शाश्वत केदार को पराजय का सामना करना पड़ा।
कई महिला दावेदार, जो दिग्गज नेताओं से संबंध रखती थीं, भी पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरीं लेकिन जीत नहीं दर्ज कर सकीं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह (अस्थावां), पूर्व विधायक मुन्ना व अन्नू शुक्ला की पुत्री शिवानी शुक्ला (लालगंज), राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता पूर्वे गुप्ता (परिहार), पूर्व विधायक सुनील कुमार पुष्पम की पत्नी माला पुष्पम (हसनपुर), विभूतीपुर से पूर्व विधायक राम बालक सिंह की पत्नी रवीना कुशवाहा, दरभंगा से स्व. विनोद कुमार चौधरी की पुत्री व प्लूरल्स पार्टी प्रमुख पुष्पम प्रिया, पूर्व मंत्री इलियास हुसैन की पुत्री डॉ. आसमा प्रवीण (महुआ) और गोपालगंज से साधु यादव की पत्नी इंदिरा देवी पराजित रहीं।







