स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
झारखंड के बोकारो जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। यहां 71 वर्षीय बुजुर्ग मां और उसके 48 वर्षीय बेटे को पिछले 15 महीनों से एक कमरे में बंद कर रखा गया था। यह मामला तब सामने आया जब एक सामाजिक संस्था को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने स्थानीय प्रशासन को सूचित किया।
15 महीनों तक कमरे में बंद थे मां-बेटा
यह दिल दहला देने वाली घटना बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर-6 थाना क्षेत्र की बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, किसी व्यक्ति ने वृद्ध महिला और उसके बेटे को किसी अन्य जगह से लाकर यहां एक कमरे में बंद कर दिया था। कमरे के बाहर ताला जड़ दिया गया था, जिससे दोनों बाहर नहीं निकल सकते थे।
लंबे समय तक दोनों मां-बेटे उसी कमरे में कैद रहे। बताया जा रहा है कि उनके पास खाने-पीने की भी सीमित सुविधा थी। कभी-कभी उन्हें बाहर से खाना दिया जाता था, लेकिन वे ज्यादातर समय कमरे में बंद ही रहते थे।
समाजसेवी संस्था ने खोली सच्चाई
यह मामला तब उजागर हुआ जब एक स्थानीय सामाजिक संस्था के सदस्यों को इस बात की भनक लगी कि इलाके में कोई व्यक्ति लंबे समय से घर में बंद है। संस्था के कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर स्थिति की जांच की और तुरंत सेक्टर-6 पुलिस को इसकी सूचना दी।
पुलिस जब मौके पर पहुंची, तो दृश्य देखकर सभी हैरान रह गए। मां और बेटा कमजोर हालत में थे और कमरे में दुर्गंध फैली हुई थी। कमरा गंदगी से भरा था और लंबे समय तक बंद रहने के कारण वहां की हालत बेहद खराब हो चुकी थी।
पुलिस ने कराया दोनों को मुक्त
पुलिस ने ताला तोड़कर मां-बेटे को कमरे से बाहर निकाला और तुरंत उन्हें चिकित्सीय जांच के लिए अस्पताल भेजा गया। डॉक्टरों ने बताया कि दोनों की शारीरिक स्थिति कमजोर है, लेकिन फिलहाल वे खतरे से बाहर हैं। सेक्टर-6 थाना प्रभारी ने बताया कि इस घटना की पूरी जांच की जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि किसने और क्यों दोनों को इतने लंबे समय तक कैद करके रखा।
पड़ोसियों की चुप्पी पर सवाल
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि 15 महीने तक किसी भी पड़ोसी ने इस मामले की सूचना पुलिस को नहीं दी। इलाके के लोगों ने बताया कि वे कभी-कभी उस घर से आवाजें सुनते थे, लेकिन उन्होंने सोचा कि परिवार के लोग खुद अंदर रहना चाहते हैं।
प्रशासन और संस्था का प्रयास
फिलहाल, प्रशासन ने दोनों की देखभाल की जिम्मेदारी उसी सामाजिक संस्था को सौंपी है, जिसने यह मामला सामने लाया था। संस्था के सदस्यों ने कहा कि वे मां-बेटे की पूरी मदद करेंगे ताकि उन्हें फिर से सामान्य जीवन जीने में सहायता मिल सके।
बोकारो की यह घटना समाज के लिए एक कड़ी चेतावनी है कि कभी-कभी हमारे आसपास होने वाले अत्याचार हमारे ही मौन से मजबूत होते हैं। 15 महीने तक एक मां और बेटा कैद में रहे, और किसी ने ध्यान नहीं दिया — यह केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की संवेदनहीनता की कहानी है।
यह मामला दिखाता है कि मानवता आज भी सबसे बड़ी ज़रूरत है; क्योंकि जब लोग इंसानियत भूल जाते हैं, तब ऐसे ही हादसे जन्म लेते हैं।







