स्टेट डेस्क, आर्या कुमारी |
बिहार चुनाव में महागठबंधन के भीतर मचे घमासान के बीच भागलपुर में सियासी खेल ने सबको चौंका दिया। नामांकन के आखिरी दिन राजद की टिकट पर ताल ठोकने की तैयारी कर रहे भागलपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर सलाहउद्दीन अहसन को कांग्रेस प्रत्याशी अजित शर्मा ने नामांकन पर्चा भरने से पहले ही मैदान से बाहर कर दिया। दिनभर चले इस सियासी ड्रामे में वह सबकुछ हुआ, जिसकी कल्पना तक पार्टी कार्यकर्ताओं ने नहीं की थी। सलाहउद्दीन अहसन का नामांकन जुलूस निकल चुका था, राजद के झंडे सड़कों पर लहरा रहे थे। लेकिन ऐन वक्त पर झारखंड के मंत्री संजय यादव ने अजित शर्मा की ओर से ‘सेटिंग’ कर खेल पलट दिया। बताया जा रहा है कि अजित शर्मा ने तेजस्वी यादव से बातचीत कर पूरा मामला अपने पक्ष में मोड़ लिया। नतीजतन, सलाहउद्दीन अहसन चुनावी मैदान से पूरी तरह OUT हो गए।
इसी दौरान सोशल मीडिया पर सलाहउद्दीन अहसन के अपहरण की खबरें वायरल होने लगीं। कई फेसबुक पोस्ट में दावा किया गया कि उन्हें नामांकन से रोकने के लिए ‘किडनैप’ किया गया है। हालांकि दोपहर 2 बजे संजय यादव और सलाहउद्दीन अहसन की साथ में ली गई तस्वीर सामने आने के बाद स्थिति कुछ हद तक स्पष्ट हुई।
डिप्टी मेयर के पीए उमर ताज ने बताया, “सलाहउद्दीन अहसन का कोई किडनैप नहीं हुआ है। राजद के शीर्ष नेतृत्व ने डैमेज कंट्रोल करते हुए उन्हें नामांकन से रोका है।” उनके अनुसार, कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने इस मामले में तेजस्वी यादव से बात की थी। जब नामांकन जुलूस वैरायटी चौक पहुंचा, तभी झारखंड मंत्री संजय यादव का फोन आया और सलाहउद्दीन को नामांकन रोकने के निर्देश मिले।
इसके बाद उन्हें नगर निगम कार्यालय बुलाया गया, जहां से वे संजय यादव के साथ मायागंज पहुंचे। वहां अजीत शर्मा, संजय यादव और शिशुपाल भारतीय समेत कई नेताओं की मौजूदगी में लंबी बैठक हुई। बताया जा रहा है कि राजद नेतृत्व ने सलाहउद्दीन को कोई बड़ा पद देने का आश्वासन दिया है। माना जा रहा है कि अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तो उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
आख़िरकार, नामांकन का समय बीत गया और सलाहउद्दीन अहसन का जुलूस ‘नामांकन यात्रा’ बनकर रह गया। समर्थक इंतजार करते रह गए, जबकि भागलपुर की सियासत में “सेटिंग बनाम सच्चाई” का यह खेल दिनभर चर्चा में बना रहा।







