
विदेश डेस्क- ऋषि राज
भारत अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा: पुतिन ने मोदी को बताया बुद्धिमान और मजबूत नेता
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने एक बार फिर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की खुलकर प्रशंसा की है। रूस के सोची में आयोजित वाल्दाई डिस्कशन क्लब के एक सत्र के दौरान पुतिन ने भारत पर अमेरिकी दबाव की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर टैरिफ के ज़रिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, भारत न तो किसी दबाव में आएगा और न ही अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता करेगा। पुतिन ने कहा, “भारतीय लोग किसी भी तरह का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी इतने बुद्धिमान हैं कि वह अपने देश को नुकसान पहुंचाने वाला कोई भी निर्णय नहीं लेंगे।”
रूस-भारत ऊर्जा संबंधों पर अमेरिकी दबाव
रूस से कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीद भारत के लिए एक रणनीतिक और आर्थिक आवश्यकता बन चुकी है। पुतिन ने कहा कि अमेरिका भारत पर दबाव डालकर उसे रूसी ऊर्जा से दूर करना चाहता है। उनका दावा है कि अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया, तो उसे 9 से 10 अरब अमेरिकी डॉलर तक का सीधा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। पुतिन ने साफ कहा कि यह मामला राजनीतिक कम और आर्थिक अधिक है।
पुतिन ने कहा, “अगर भारत रूसी तेल छोड़ देता है, तो उसका नुकसान तय है। और अगर नहीं छोड़ता तो भी टैरिफ और प्रतिबंध लगेंगे। ऐसे में जब घरेलू स्तर पर नुकसान झेलना ही है तो फिर अपने राष्ट्रीय हितों से पीछे क्यों हटे?”
मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा
राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “बुद्धिमान और दूरदर्शी नेता” बताया। उन्होंने कहा कि मोदी हमेशा अपने देश और उसके नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच विशेष संबंध हैं और दोनों देशों ने लगभग 15 साल पहले विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की थी। पुतिन के मुताबिक, आज भी यही साझेदारी भारत-रूस रिश्तों की सबसे बड़ी पहचान है।
पुतिन ने जोर देकर कहा कि भारत कभी भी अपमानजनक व्यवहार सहन नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी को जानता हूं। वह ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लेंगे जो भारत की गरिमा और रणनीतिक स्वायत्तता को ठेस पहुंचाए।”
अमेरिकी आरोपों का जवाब
पुतिन का यह बयान उस समय आया है जब कुछ दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत और चीन पर गंभीर आरोप लगाए थे। ट्रंप ने कहा था कि दोनों देश रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे हैं और अप्रत्यक्ष रूप से रूस की सैन्य ताकत को समर्थन दे रहे हैं। इस पर पुतिन ने अप्रत्यक्ष रूप से जवाब देते हुए कहा कि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के आधार पर निर्णय लेता है और यह पूरी तरह आर्थिक गणना है, न कि राजनीतिक।
भारत-रूस संबंधों की अहमियत
भारत और रूस दशकों से एक-दूसरे के महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार रहे हैं। रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और तकनीकी क्षेत्रों में दोनों देशों का सहयोग गहरा है। रूस से मिलने वाला सस्ता कच्चा तेल भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, और भारत इसे छोड़ने की स्थिति में नहीं है। यही कारण है कि अमेरिकी टैरिफ और दबाव के बावजूद भारत अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम है।
व्लादिमिर पुतिन का यह बयान भारत की वैश्विक भूमिका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती पहचान को रेखांकित करता है। अमेरिका चाहे जितना भी दबाव बनाए, रूस का मानना है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के खिलाफ कोई फैसला नहीं करेगा। पुतिन का यह विश्वास इस बात का प्रमाण है कि भारत आज केवल उपभोक्ता नहीं बल्कि वैश्विक राजनीति और ऊर्जा सुरक्षा में एक निर्णायक खिलाड़ी बन चुका है। कुल मिलाकर, पुतिन का संदेश साफ है—भारत किसी के दबाव में नहीं आएगा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और गरिमा की रक्षा करेगा।