नेशनल डेस्क, आर्या कुमारी |
भारत के सर्वोच्च न्यायालय को जल्द ही नया नेतृत्व मिलने जा रहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत शर्मा देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) के रूप में पदभार संभालेंगे। वे 24 नवंबर 2025 को इस प्रतिष्ठित पद की शपथ लेंगे वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ हैं। उनके बाद न्यायमूर्ति बी. आर. गवई 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे, जबकि न्यायमूर्ति सूर्यकांत शर्मा इनके पश्चात सर्वोच्च पद पर आसीन होंगे।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
न्यायमूर्ति सूर्यकांत शर्मा का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा में हुआ था। बचपन से ही वे अध्ययनशील और न्याय के प्रति संवेदनशील रहे। उन्होंने विधि की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने करियर की शुरुआत अधिवक्ता के रूप में की। उनका प्रारंभिक जीवन सादगी, मेहनत और समर्पण का प्रतीक रहा है। उन्होंने अपने ज्ञान और कार्यनिष्ठा के बल पर न्यायपालिका में सम्मानजनक स्थान हासिल किया और धीरे-धीरे सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचे।
न्यायिक करियर और प्रमुख योगदान
न्यायमूर्ति सूर्यकांत शर्मा का न्यायिक करियर उल्लेखनीय रहा है। वे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के 23वें मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए और न्याय के नए मानदंड स्थापित किए। उनका दृष्टिकोण हमेशा पारदर्शिता, निष्पक्षता और त्वरित न्याय पर केंद्रित रहा है। उनके निर्णय समाज के कमजोर वर्गों, किसानों और आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल
न्यायमूर्ति सूर्यकांत शर्मा 24 नवंबर 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करेंगे। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा। इस दौरान उनसे उम्मीद है कि वे न्यायपालिका में लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाएंगे और डिजिटल तकनीक के माध्यम से न्याय प्रणाली को अधिक सुलभ बनाएंगे। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली में नवाचार और पारदर्शिता को और बल मिलने की संभावना है।
मुख्य न्यायाधीश पद से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष तय की गई है।
- सुप्रीम कोर्ट में अधिकतम 34 न्यायाधीश (मुख्य न्यायाधीश सहित) नियुक्त किए जा सकते हैं।
- वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को लगभग ₹2,80,000 मासिक वेतन प्राप्त होता है।
- मुख्य न्यायाधीश का पद केवल संवैधानिक नहीं, बल्कि देश की न्यायिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय का इतिहास
भारत का सर्वोच्च न्यायालय 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया, उसी दिन जब देश ने अपना संविधान लागू किया। देश के प्रथम मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हरिलाल जे. कानिया थे, जिन्होंने भारतीय न्यायपालिका की नींव रखी। इसके बाद कई प्रतिष्ठित न्यायमूर्तियों ने इस पद को अपनी दूरदृष्टि और निष्पक्षता से गौरवान्वित किया। भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति लीला सेठ रही थीं, जिन्होंने न्यायपालिका में महिलाओं की भूमिका को सशक्त दिशा दी।
भविष्य की दृष्टि
न्यायमूर्ति सूर्यकांत शर्मा से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे न्यायपालिका में नई ऊर्जा, पारदर्शिता और जनसुलभता का नया अध्याय जोड़ेंगे। उनका अनुभव और न्याय के प्रति गहरी समझ देश के न्यायिक ढांचे को और मजबूत बना सकती है। उनसे यह उम्मीद है कि वे न्याय वितरण में समानता, समयबद्धता और संवेदनशीलता को प्राथमिकता देंगे। उनके नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका न केवल संस्थागत रूप से सशक्त होगी, बल्कि आम नागरिकों का विश्वास भी और दृढ़ होगा।







