
विदेश डेस्क, श्रेया पांडेय |
भारत ने गाज़ा संघर्ष पर UNGA प्रस्ताव में मतदान से बनाई दूरी, विपक्ष ने जताया विरोध
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में गाज़ा में संघर्ष विराम (Ceasefire) के पक्ष में लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया। भारत ने ‘अभिकथन से बचाव’ (Abstain) का रास्ता अपनाया, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी स्थिति को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह प्रस्ताव इज़राइल और हमास के बीच बढ़ते संघर्ष, नागरिक हताहतों और मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए लाया था। अधिकांश देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, लेकिन भारत ने न तो समर्थन किया, न ही विरोध – बल्कि मतदान से स्वयं को अलग रखा।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने इसपर कहा, “भारत मानता है कि किसी भी संघर्ष का समाधान बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से होना चाहिए। हम सभी पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करने की अपील करते हैं।”
हालाँकि, भारत की इस तटस्थता की विपक्षी दलों ने आलोचना की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस पर बयान दिया, “भारत हमेशा मानवीय मूल्यों के पक्ष में खड़ा रहा है। आज जब निर्दोष लोगों की जान जा रही है, भारत की चुप्पी उसकी नैतिक नेतृत्व की छवि को कमजोर करती है।”
सपा और वाम दलों ने भी सरकार से स्पष्ट नीति की मांग की है और गाज़ा में हो रहे ‘मानवाधिकार उल्लंघनों’ पर कार्रवाई की माँग की है। विपक्ष का तर्क है कि भारत को स्पष्ट रूप से संघर्षविराम का समर्थन करना चाहिए था।
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की नीति ‘संतुलित और व्यावहारिक’ है, और हम दोनों पक्षों को संयम बरतने और मानवीय सहायता पहुँचाने की अपील करते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने गाज़ा मुद्दे पर संयम का रास्ता चुना है। परंतु मौजूदा राजनीतिक माहौल और वैश्विक दबाव को देखते हुए यह निर्णय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बहस का विषय बन गया है।