Ad Image
Ad Image
दिल्ली पुलिस ने साइबर अपराधियों के लिए चलाया साईं हॉक अभियान, 48 घंटे में 800 गिरफ्तार || झारखंड की मंत्री दीपिका पाण्डेय का EC पर हमला, SIR के कारण हारा महागठबंधन || पूर्वी चंपारण के रक्सौल में VIP पार्टी के अनुमंडल प्रमुख की गोली मार हत्या || राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन से शांति समझौते के प्रस्ताव को जल्दी स्वीकार करने का आग्रह किया || ईरान पर अमेरिका की सख्ती, आज नए प्रतिबंधों का किया ऐलान || BJP को 90 पर लीड, JDU को 80 पर लीड, महागठबंधन फेल || नीतीश कुमार CM हैं और आगे भी रहेंगे: जेडीयू की प्रतिक्रिया || NDA को शानदार बढ़त, 198 पर लीड जबकि महागठबंधन को 45 पर लीड || तुर्की : सैन्य विमान दुर्घटना में मृत सभी 20 सैनिकों के शव बरामद || RJD के एम एल सी सुनील सिंह का भड़काऊ बयान, DGP के आदेश पर FIR

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

भारत ने सत्यजीत रे की विरासत को संरक्षित करने के लिए बांग्लादेश को सहयोग देने की पेशकश की

नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर |

भारत सरकार ने बांग्लादेश में विख्यात फिल्म निर्माता सत्यजीत रे की पैतृक संपत्ति को संग्रहालय में बदलने के प्रस्ताव पर सहयोग देने की इच्छा जताई है। यह कदम भारतीय सिनेमा की धरोहर को सम्मान देने की दिशा में एक सांस्कृतिक प्रयास माना जा रहा है।
 भारत ने बांग्लादेश के मेमनसिंह ज़िले में प्रसिद्ध फिल्मकार और लेखक सत्यजीत रे की पैतृक संपत्ति को गिराए जाने पर गहरा खेद व्यक्त किया है। यह संपत्ति न केवल सत्यजीत रे से जुड़ी थी, बल्कि उनके दादा उपेंद्र किशोर राय चौधरी, जो एक प्रसिद्ध लेखक और प्रकाशक थे, से भी जुड़ी रही है।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भारत इस संपत्ति को संग्रहालय में बदलने के विचार का पूरा समर्थन करता है और इस दिशा में बांग्लादेश सरकार को हर संभव सहयोग देने को तैयार है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजा जा सके।

यह संपत्ति भारत और बांग्लादेश के साझा सांस्कृतिक इतिहास का एक अहम प्रतीक है। सत्यजीत रे का जन्म भले ही कोलकाता में हुआ था, लेकिन उनका पारिवारिक जुड़ाव बांग्लादेश से भी गहरा रहा है।

भारत सरकार का यह कदम केवल एक इमारत को बचाने की कोशिश नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक संरक्षण और द्विपक्षीय रिश्तों को मज़बूत करने की दिशा में एक अहम प्रयास है।

अगर बांग्लादेश सरकार इस प्रस्ताव को मान लेती है, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बन सकती है।