भारत सरकार: पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को पासपोर्ट नियमों में छूट

विदेश डेस्क, ऋषि राज |
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले अल्पसंख्यकों को राहत देते हुए पासपोर्ट नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, 31 दिसंबर 2024 से पहले भारत आने वाले अल्पसंख्यकों को देश में रहने के लिए पासपोर्ट दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी।
किन्हें मिलेगी छूट
यह निर्णय विशेष रूप से छह अल्पसंख्यक समुदायों – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई – के लिए लिया गया है। ये वे समुदाय हैं, जो अक्सर पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करते हैं। आदेश के मुताबिक, यदि यह लोग 21 दिसंबर 2024 तक भारत आ चुके हैं, तो इन्हें बिना पासपोर्ट के भारत में रहने की अनुमति मिलेगी।
गृह मंत्रालय का आदेश
गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि इन समुदायों के लोगों को मानवीय आधार पर यह राहत दी गई है। इसका उद्देश्य उन शरणार्थियों को कानूनी सुरक्षा और स्थायित्व प्रदान करना है, जिन्होंने अपने देशों में असुरक्षा के कारण भारत में शरण ली है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इससे इन लोगों को सामाजिक और आर्थिक रूप से मुख्यधारा में शामिल करने की प्रक्रिया तेज होगी।
नियमों में बदलाव का महत्व
भारत में अक्सर यह मांग उठती रही है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को, जो पड़ोसी देशों में सताए जाते हैं, विशेष छूट दी जाए। मौजूदा नियमों के तहत ऐसे लोगों को भारत में रहने के लिए वैध पासपोर्ट और वीज़ा की आवश्यकता होती थी। कई मामलों में इनके पास दस्तावेज अधूरे या उपलब्ध ही नहीं होते थे, जिससे वे कानूनी समस्याओं में फंसे रहते थे। इस आदेश के लागू होने से अब उन्हें राहत मिलेगी और उनकी स्थिति अधिक सुरक्षित होगी।
सीएए से जुड़ाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला कहीं न कहीं नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) से भी जुड़ा हुआ है। सीएए में भी इन्हीं तीन देशों से आए इन छह अल्पसंख्यक समुदायों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। हालांकि, यह आदेश केवल भारत में रहने की अनुमति से जुड़ा है, न कि सीधे तौर पर नागरिकता से। लेकिन इसे नागरिकता की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक और सामाजिक असर
इस फैसले का असर भारत की राजनीति और समाज पर भी पड़ सकता है। समर्थक दल इसे मानवीय पहल बताते हुए सरकार की संवेदनशीलता की सराहना कर रहे हैं। वहीं, आलोचक दल कह सकते हैं कि यह कदम चयनित समुदायों को ही लाभ पहुंचाता है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए हो सकता है।
भारत सरकार का यह कदम हजारों ऐसे अल्पसंख्यकों के लिए बड़ी राहत है, जो धार्मिक उत्पीड़न से बचकर भारत आए हैं। पासपोर्ट की अनिवार्यता हटाने से उनकी कानूनी स्थिति मजबूत होगी और उन्हें समाज में बेहतर अवसर मिल सकेंगे। हालांकि, इस निर्णय को लेकर राजनीतिक बहस भी तेज होना तय है।