
स्टेट डेस्क, एन. के. सिंह।
पीएम मोदी और सीएम नीतीश के नेतृत्व में बिहार में हुआ अभूतपूर्व विकास। मुफ्त बिजली, बढ़ी हुई पेंशन, और 1 करोड़ रोजगार जैसे संकल्पों के साथ एनडीए ने "सशक्त बिहार, विकसित बिहार" का दिया नारा।
पूर्वी चंपारण: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बगहा, बेतिया और जिले के बंजरिया प्रखंड के चईलाहा यज्ञशाला के मैदान में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल फूंक दिया। उन्होंने 'भूलिएगा नहीं, हम सब लोगों के लिए काम किए हैं' का नारा बुलंद करते हुए कहा कि 2005 से पहले बिहार अराजकता और अव्यवस्था का प्रतीक था, जहां लोग घरों से निकलने से डरते थे। लेकिन आज, यह शांति और सुशासन का पर्याय बन चुका है, और लोग निर्भीक होकर अपना काम कर रहे हैं। इस बदलाव की नींव केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'डबल इंजन' नेतृत्व में रखी गई है।
2005 से 2025, एक बदलाव की कहानी
एनडीए के कार्यकर्ता सम्मेलन में जारी संदेश के अनुसार, 2005 से पहले बिहार में सड़कें गड्डों का साम्राज्य थीं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं अस्तित्वहीन थीं, और कानून-व्यवस्था बदहाल थी। बिजली की स्थिति ऐसी थी कि गांवों में अंधेरा रहता था और शहरों में भी कुछ घंटे ही बिजली मिलती थी।
इसके विपरीत, 2005 के बाद, न्याय के साथ विकास के युग में सड़कें हर गांव और शहर को जोड़ने लगीं, बिजली हर घर तक पहुंची, और हर बच्चे के लिए स्कूल व हर मरीज के लिए अस्पताल उपलब्ध हुए। औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला, जिससे निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।
विकास के अभूतपूर्व तथ्य
एनडीए सरकार ने बिहार के बजट को 2005 के 23,800 करोड़ से बढ़ाकर 2025 में 3.17 लाख करोड़ तक पहुंचाया है, जो 13 गुना की वृद्धि है। प्रति व्यक्ति आय 2004 में 7,914 से बढ़कर 2024 में 66,828 हो गई है। सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में हुई है, जहां 2.25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं, और बिहार में गरीबी से बाहर आने की गति (18.13%) राष्ट्रीय औसत (9.89%) से दोगुनी है।
हर तबके का विकास और ऐतिहासिक पहल
नीतीश कुमार की सरकार ने न्याय के साथ विकास के मंत्र को जमीन पर उतारा है। अल्पसंख्यक कल्याण का बजट 2004-05 के 3.53 करोड़ से बढ़कर 2025-26 में ₹1000 करोड़ से अधिक हो गया है। इसी तरह, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के कल्याण के बजट में भी ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। बिहार अतिपिछड़ा वर्ग आयोग और महादलित विकास मिशन का गठन करने वाला पहला राज्य बना है। साथ ही, 94 लाख अत्यंत गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए 2-2 लाख का अनुदान दिया जा रहा है। जातिगत गणना का ऐतिहासिक कार्य कर बिहार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75% किया है, जिसमें सभी वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व मिला है।
महिला सशक्तीकरण और युवाओं का भविष्य
एनडीए सरकार ने महिला सशक्तीकरण को बदलाव की असली ताकत बनाया है। प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति, पंचायती राज और स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50% आरक्षण, और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण दिया गया है। बिहार आज सर्वाधिक महिला पुलिसकर्मियों वाला राज्य है।
युवाओं के लिए कुशल युवा कार्यक्रम, मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना, और कौशल विकास विश्वविद्यालय जैसी पहल की गई हैं ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
डबल इंजन सरकार, तेज विकास की गारंटी और नई सौगातें
केंद्र और राज्य में डबल इंजन सरकार ने बिहार के विकास को गति दी है। हाल ही में केंद्र सरकार ने 60 हजार करोड़ से अधिक का विशेष पैकेज दिया, जिसमें पटना एयरपोर्ट के पुनर्विकास, 6 नए एयरपोर्ट और ईस्ट-वेस्ट इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसे बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं।
आने वाले समय में बिहार को कई नई सौगातें मिली हैं, जिनमें 125 यूनिट मुफ्त बिजली (1.67 करोड़ घरों को लाभ), सामाजिक सुरक्षा पेंशन 400 से बढ़कर 1100, अगले 5 साल में 1 करोड़ नौकरी और रोजगार देने का संकल्प, मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत हर परिवार की एक महिला को 2.10 लाख तक की सहायता, जीविका के 1.40 लाख कर्मियों का वेतन दोगुना, अयोध्या की तर्ज पर सीतामढ़ी का पुनौराधाम का विकास आदि शामिल हैं। एनडीए ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे घर-घर जाकर इन उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाएं और "सशक्त बिहार, विकसित बिहार" के लक्ष्य के साथ, 2025 में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनाएं।
कार्यक्रम में बेतिया के सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल, विधायक प्रमोद सिन्हा, जिला अध्यक्ष मंजू देवी, जदयू विधायक शालिनी मिश्रा, जदयू नेता श्याम बिहारी प्रसाद, सुनील सिंह, जदयू नेता सह जिला परिषद के उपाध्यक्ष प्रतिनिधि अखिलेश प्रसाद यादव समेत बड़ी संख्या में जदयू कार्यकर्ता एवं ग्रामीण उपस्थित थे।