स्टेट डेस्क वेरॉनिका राय
झारखंड की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गंभीर सवाल उठाते हुए बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि महागठबंधन की हार किसी राजनीतिक लहर का नहीं, बल्कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हुई हेराफेरी का परिणाम है।
मंत्री सिंह ने दावा किया कि चुनाव के अंतिम चरण में अचानक एसआईआर (Special Summary Revision) प्रक्रिया लागू की गई, जिसके तहत करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। उनके अनुसार, यह कदम न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि चुनाव परिणाम को सीधे-सीधे प्रभावित भी करता है।
दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नाम हटना साधारण चूक नहीं हो सकती। उन्होंने दावा किया कि जिन क्षेत्रों में महागठबंधन मजबूत स्थिति में था, वहीं पर सबसे अधिक वोट हटाए गए।
उनके अनुसार, “जब लाखों वैध वोटर अचानक सूची से गायब जाएं, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर प्रहार है। महागठबंधन की हार का एक प्रमुख कारण यही वोटर लिस्ट में की गई गड़बड़ी है।”
मंत्री सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया को सही समय पर नहीं, बल्कि चुनाव के बीच में लागू किया गया, जिससे लाखों मतदाताओं को दोबारा दस्तावेज जमा करने या विवरण सुधारने का मौका ही नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की प्रक्रिया शुरू करना पारदर्शिता के नियमों के खिलाफ है|
गौरतलब है कि चुनाव के दौरान कई विपक्षी दलों ने भी मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई थी—कहीं पूरे परिवार के नाम एक साथ हटाए गए, तो कहीं बूथों पर सैकड़ों मतदाता सूची से गायब पाए गए। हालांकि निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को गलत बताते हुए पूरी प्रक्रिया को मानक के अनुरूप बताया था।
दीपिका पांडेय सिंह के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन के समर्थक भी इस मुद्दे को लेकर आवाज उठा रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर वोट कटने से परिणाम प्रभावित होना स्वाभाविक है।
वहीं सत्ता पक्ष इन आरोपों को राजनीतिक हताशा बताते हुए खारिज कर रहा है।







