Ad Image
ईरान ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन से हमले शुरू किए, IRGC ने की पुष्टि || ईरान : बुशहर में इजरायली हमले से गैस रिफाइनरी में विस्फोट || PM मोदी तीन देशों की यात्रा पर, आज साइप्रस पहुंचे || पूर्व सांसद मंगनी लाल मंडल RJD के निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष बनें || सारण: मांझी थाना प्रभारी समेत 3 पुलिसकर्मी सस्पेंड || मोतिहारी: कोटवा के बेलवाडीह में सड़क दुर्घटना में 2 बाईक सवारों की मौत || ईरान के ड्रोन हमलों को लेकर इजरायल में एयर RED ALERT || कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे आज जायेंगे अहमदाबाद, घायलों से करेंगे भेंट || बिहार RJD: पूर्व सांसद मंगनी लाल मंडल बनेंगे प्रदेश अध्यक्ष || ईरान के हमले में 41 इजरायली नागरिक घायल, 100 से ज्यादा मिसाइलों से हमला

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

महात्मा गांधी की परपोती को 7 साल की जेल

ऋषि राज, विदेश डेस्क |

महात्मा गांधी की परपोती आशिष लता रामगोबिन को धोखाधड़ी मामले में 7 साल की जेल

डरबन, दक्षिण अफ्रीका | महात्मा गांधी की परपोती और सामाजिक कार्यकर्ता आशिष लता रामगोबिन को दक्षिण अफ्रीका की एक अदालत ने धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के एक बड़े मामले में 7 साल की सश्रम जेल की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2015 से चल रहा था और सोमवार को डरबन स्थित स्पेशलाइज्ड कमर्शियल क्राइम कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया।

 क्या है पूरा मामला?

2015 में आशिष लता रामगोबिन पर आरोप लगा था कि उन्होंने एक व्यवसायी एस.आर. महाराज को भारत से लिनन (linen) आयात करने की एक फर्जी योजना के तहत धोखा दिया। रामगोबिन ने दावा किया था कि उनके पास भारत से लिनन के बड़े माल की खेप आने वाली है और उसमें निवेश करने पर व्यापारी को अच्छा मुनाफा होगा।

उन्होंने महाराज को यह विश्वास दिलाया कि वह वस्त्रों की खेप मंगवा रही हैं और उसे कस्टम ड्यूटी और अन्य शुल्कों के लिए धन की जरूरत है। रामगोबिन ने कथित तौर पर जाली चालान और दस्तावेज दिखाकर एस.आर. महाराज से 6.2 मिलियन रैंड (लगभग ₹3.22 करोड़) की धनराशि ले ली। हालाँकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि ऐसा कोई माल मौजूद नहीं था और यह एक पूरी तरह से फर्जी योजना थी।

अदालत का फैसला

डरबन स्पेशलाइज्ड कमर्शियल क्राइम कोर्ट ने रामगोबिन को दोषी ठहराते हुए कहा कि उन्होंने विश्वासघात कर एक व्यापारी को आर्थिक नुकसान पहुँचाया। उन्होंने ना केवल झूठे दस्तावेज प्रस्तुत किए, बल्कि इस योजना को लाभ के लिए इस्तेमाल करते हुए जानबूझकर धोखा दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि रामगोबिन को सजा और दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की अनुमति नहीं दी गई। अदालत ने यह माना कि यह धोखाधड़ी "सुनियोजित और जानबूझकर की गई थी"।

 पारिवारिक पृष्ठभूमि

आशिष लता रामगोबिन दक्षिण अफ्रीका में जन्मी हैं और गांधीजी के तीसरे बेटे मणिलाल गांधी की पौत्री हैं। वह समाजसेवा और पर्यावरणीय कार्यों से जुड़ी रही हैं। उनका नाम गांधीवादी मूल्यों से जुड़ा रहा है, जिससे यह मामला और भी ज्यादा चौंकाने वाला बना।

प्रतिक्रिया और असर

यह मामला दक्षिण अफ्रीका और भारत दोनों में सुर्खियों में है। गांधी जी के नाम से जुड़ी एक परिजन पर लगे इस आरोप और सजा ने समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ लोगों ने इसे “न्याय की जीत” बताया है, जबकि कुछ इसे गांधी परिवार की साख पर एक “धब्बा” मान रहे हैं।

आशिष लता रामगोबिन पर लगे आरोप और न्यायिक कार्रवाई यह दर्शाते हैं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह किसी भी प्रतिष्ठित परिवार से क्यों न हो। गांधी जी की परपोती होने के बावजूद, उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही से यह संदेश गया है कि धोखाधड़ी और विश्वासघात के मामलों में न्याय अंधा नहीं होता।